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ई-वॉलिट के जरिए होने वाले ट्रांजैक्शंस को सेफ बनाने के लिए सरकार ने जारी की नई गाइडलाइंस

मोदी सरकार ने ई-वॉलिट के जरिए होने वाले ट्रांजेक्शंस को और ज्यादा सेफ बनाने के लिए नई गाइडलाइंस जारी की है।

Ankit Tyagi
Published : March 10, 2017 12:23 IST
ई-वॉलिट के जरिए होने वाले ट्रांजेक्शंस को सेफ बनाने के लिए सरकार ने जारी की नई गाइडलाइंस
ई-वॉलिट के जरिए होने वाले ट्रांजेक्शंस को सेफ बनाने के लिए सरकार ने जारी की नई गाइडलाइंस

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने ई-वॉलिट के जरिए होने वाले ट्रांजेक्शंस को और ज्यादा सेफ बनाने के लिए नई गाइडलाइंस जारी की है। अब कंज्यूमर की शिकायतों की निपटारा व्यवस्था को मजबूत बनाने के मकसद से सरकार ने वॉलिट कंपनियों के लिए गाइडलाइंस जारी की है।

मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड आईटी के अडिशनल सेक्रेटरी अजय कुमार ने कहा

ड्राफ्ट रूल्स से कन्ज्यूमर्स की पर्सनल इन्फॉर्मेशंस की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। कुमार ने कहा, टइसके अलावा पर्याप्त डेटा सिक्यॉरिटी और शिकायत निपटारा व्यवस्था किए जाने की जरूरत है।

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जारी हुई नई गाइडलाइंस

  • मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड आईटी की तरफ से पब्लिक कंसल्टेशन के लिए जारी ड्राफ्ट इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी (सिक्यॉरिटी ऑफ प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स) रूल्स 2017 में कन्ज्यूमर के खासतौर पर फाइनेंशल इन्फॉर्मेशन की सुरक्षा जैसे समूचे स्पेक्ट्रम को कवर किया गया है।
  •  रूल्स के हिसाब से हर प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट (PPI) कंपनी या वॉलिट फर्म को अपनी वेबसाइट पर प्रिवेसी पॉलिसी प्रकाशित करना होगा।
  • उसको एक चीफ ग्रीवांस ऑफिसर अपॉइंट करना होगा और उनके कॉन्टैक्ट डिटेल्स को वेबसाइट पर प्रमुखता से डिस्प्ले करना होगा।
  • ग्रीवांस ऑफिसर को शिकायतों पर 36 घंटे के भीतर कार्रवाई करनी होगी और महीने भर के अंदर निपटारा करना होगा।
  • ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि कंपनियों को हैकिंग के हमलों से बचाव के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था करना होगा और साइबर अटैक होने की सूरत में तुरंत सरकारी एजेंसियों को उसके बारे में बताना होगा।

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आसान शब्दों में लिखनी होंगी टर्म्स ऐंड कंडिशंस

  • सभी ई-पीपीआई इश्यूर को अपनी वेबसाइट और मोबाइल ऐप्लीकेशन पर प्रिवेसी पॉलिसी और पेमेंट सिस्टम के इस्तेमाल के लिए आसान शब्दों में लिखे टर्म्स ऐंड कंडिशंस डिस्प्ले करना होगा ताकि सामान्य तर्कशक्ति वाला हर शख्स उसको समझ सके।
  • ड्राफ्ट में कहा गया है कि पॉलिसी में ये डिटेल शामिल करना जरूरी होगा कि कन्ज्यूमर की कौन सी सूचनाएं ली जाएंगी, उनका इस्तेमाल क्या होगा, कितने समय तक सूचनाएं रखी जाएंगी
  • उनका खुलासा खासतौर पर किस मकसद से किन सरकारी एजेंसियों को किया जा सकेगा।

शिकायत के लिए नियुक्त ऑफिसर का नाम और डीटेल देनी होंगी

  • इसमें सिक्यॉरिटी प्रैटिक्सेज और प्रोसीजर की डिटेल्स, शिकायत निपटारे की व्यवस्था सहित शिकायत निपटारा करनेवाले अफसर का नाम और कॉन्टैक्ट डिटेल देना जरूरी होगा।
  • गाइडलाइंस के मुताबिक आईटी ऐक्ट के सेक्शन 71ए के तहत कस्टमर्स की पर्सनल इन्फॉर्मेशन और उनके फाइनैंशल डेटा को इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी (रीजनेबल सिक्यॉरिटी प्रैक्टिसेज ऐंड प्रोसीजर्स ऐंड सेंसिटिव पर्सनल डेटा ऑर इन्फॉर्मेशन) रूल्स 2011 के तहत संवेदनशील पर्सनल डेटा माना जाएगा।

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