नयी दिल्ली। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों के एकीकरण के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है। सरकार की योजना सभी सरकारी साधारण बीमा कंपनियों का न्यू इंडिया एश्योरेंस में विलय करने की है। इसका मकसद एक अधिक मूल्य की परिसंपत्ति वाली कंपनी बनाना है।
यह भी पढ़ें: World Cup 2019: भारत के मैच बारिश की भेंट चढ़े तो बीमा कंपनियों को लगेगी 100 करोड़ की चपत
बता दें कि बैंकों के विलय के बाद अब मोदी सरकार बीमा कंपनियों के भी विलय पर विचार कर रही है। सरकार चाहती है कि एक बीमा कंपनी हो जो सबसे ज्यादा संपत्ति की हो।
सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाला निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहा है। इसमें नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी में हिस्सेदारी बेचने का विकल्प भी शामिल है।
यह भी पढ़ें: एक आम की कीमत तुम क्या जानो! 'नूरजहां' मुटियाई का 1 आम खरीदने के लिए होने चाहिए इतने हजार रुपए
सूत्रों के अनुसार, सरकार का विचार यह है कि सरकारी साधारण बीमा कंपनियों में सार्वजनिक हिस्सेदारी को तेजी से बेचा जाए। यह पिछले दो साल से लंबित है। इसके अलावा अन्य विकल्पों पर भी विचार विमर्श चल रहा है। इसमें ऐसे नए शेयर जारी करना जिन्हें न्यू इंडिया एश्योरेंस खरीदे या उसे सीधे शेयरों की बिक्री करने के विकल्प भी शामिल हैं। एक अन्य विकल्प चारों कंपनियों का विलय कर भारतीय जीवन बीमा निगम की तरह एक बड़ी कंपनी बनाने का भी है। एक बार विलय हो जाने के बाद सरकार इसमें हिस्सेदारी की बिक्री करे।
यह भी पढ़ें: iPhone vs Android: मोदी नहीं भारत का ये कद्दावर नेता ट्रंप को देता है टक्कर, रखता है ये वाला स्मार्टफोन
सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया के लिए ईएंडवाई को सलाहकार नियुक्त किया है। सरकारी साधारण बीमा कंपनियों का एकीकरण करना सरकार की विनिवेश रणनीति का हिस्सा है। वर्ष 2017 में सरकार ने न्यू इंडिया एश्योरेंस और जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन आफ इंडिया को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कराया था और इस बिक्री से सरकारी खजाने में धन आया था। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सरकार ने 90,000 करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य तय किया है। इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 85,045 करोड़ रुपये था।