नई दिल्ली। सरकार ने गैर-निजी डेटा के उपयोग, प्रबंधन से जुड़े नियमों के एक मसौदे पर लोगों से राय मांगी है। इस मसौदे को इंफोसिस के सह-संस्थापक और उद्यम निवेशक कृष गोपालकृष्णन की अध्यक्षता में बनायी गयी एक विशेषज्ञ समिति ने तैयार किया है। इस समिति को पिछले साल सितंबर में गठित किया गया था। इसने अपनी रिपोर्ट सरकार को जमा कर दी है। सरकार के जन-भागीदारी मंच माईगव पर इसे लेकर एक परिचर्चा शुरू की गयी है। माईगव ने कहा, ‘‘ गैर-निजी डेटा नियमन ढांचा पर बनी विशेषज्ञ समिति अपनी रपट पर आपकी राय चाहती है। आपके सुझाव इस रपट को अंतिम रूप देने में मदद करेंगे।’’
सरकार ने लोगों से 13 अगस्त तक अपने सुझाव देने को कहा है। समिति को गैर-निजी डेटा से जुड़े विभिन्न मुद्दों का अध्ययन कर विशेष सुझाव देने के लिए कहा गया था, ताकि केंद्र सरकार गैर-निजी डेटा के नियमन को लेकर विचार-विमर्श कर सके। देश में निजी जानकारी सुरक्षा विधेयक पर अभी भी काम चल रहा है। ऐसे में गोपालकृष्णन समिति ने अपनी रपट में गैर-निजी डेटा को परिभाषित किया है। समिति ने अपनी रपट तैयार करने के लिए कई अन्य अध्ययन रपटों के आधार पर आंकड़े जुटाए। अध्ययन दिखाते हैं कि जिन कंपनियों के पास जितना ज्यादा डेटा होता है उन्हें उसका उतना ही ‘प्रौद्योगिकी-आर्थिक लाभ’ मिलता है और उन्हें पीछे छोड़ पाना मुश्किल होता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 1990 और 2000 के दशक में शुरू हुई कई स्टार्टअप कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 1000 अरब डॉलर को पार कर गया और वह बहुराष्ट्रीय कंपनियां बन गयी। इसकी बड़ी वजह उपयोक्ता के डेटा को संग्रह करने और उसका आकलन करने की क्षमता का उनके पास होना है। रिपोर्ट में अन्य अध्ययनों के हवाले से कहा गया है कि गूगल और फेसबुक दोनों मिलकर अमेरिका के इंटरनेट विज्ञापन बाजार की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी पर नियंत्रण रखते हैं। वहीं 2019 में अमेरिका के ई-वाणिज्य बाजार में अमेजन की हिस्सेदारी करीब 37 प्रतिशत है।