अगस्त में लगाई थी 10 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी
दूनिया में दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक देश भारत ने इस साल अगस्त में गेहूं के इंपोर्ट पर 31 मार्च 2016 तक के लिए 10 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगाई थी। दरअसल आठ साल बाद 2015 में बड़े पैमाने पर गेहूं इंपोर्ट हो रहा है। इसको रोकने के लिए सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया है।
गेहूं इंपोर्ट 10 लाख टन पहुंचने का अनुमान
घरेलू मार्केट में सरप्लस सप्लाई के बावजूद इंडियन मिलर्स ने मार्च तक आॅस्ट्रेलिया से 5 लाख टन गेहूं इंपोर्ट के लिए डील की है, जो कि पिछले एक दशक में सबसे बड़ी डील है। दरअसल इस साल बेमौसम बारिश की वजह से गेहूं की क्वालिटी खराब हुई है, मिलें खराब क्वालिटी का गेहूं खरीदने से परहेज कर रही हैं और बढ़िया गेहूं इंपोर्ट कर रही हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में गिरावट आई तो 5 लाख टन अतिरिक्त गेहूं इंपोर्ट हो सकता है।
खराब क्वालिटी से बढ़ा इंपोर्ट
इस साल मार्च-अप्रैल के दौरान हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि को देखते हुए किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने गेहूं के खरीद मानकों में ढील दी थी। इसकी वजह से सरकार ने बड़े पैमाने पर खराब क्वालिटी वाले गेहूं की खरीददारी की है। गेहूं की क्वालिटी खराब होने के कारण मिलर्स और बड़ी कंपनियां खरीददारी से बच रही हैं।
देश में 69 लाख टन कम पैदा हुआ गेहूं
मार्च-अप्रैल के दौरान हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से इस साल गेहूं की क्वालिटी खराब हुई, साथ ही उत्पादन भी घटा है। कृषि मंत्रालय के चौथे अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2014-15 के दौरान देश में गेहूं का उत्पादन घटकर 8.89 करोड़ टन हुआ है, जबकि 2013-14 के दौरान देश में उत्पादन 9.58 करोड़ टन हुआ था। यानी इस साल देश में 69 लाख टन कम गेहूं पैदा हुआ है।