नई दिल्ली। देश में प्याज की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बुधवार को प्याज के निर्यात पर 850 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगा दिया है। इसका मतलब है कि देश से अब इस मूल्य से कम पर निर्यात नहीं किया जा सकेगा। निर्यात और कम उत्पादन की वजह से देश में प्याज की आपूर्ति प्रभावित हुई है, जिसकी वजह से इसकी कीमतें ऊंची बनी हुई हैं।
खरीफ उत्पादन कम होने के कारण प्याज की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। उत्पादक राज्यों विशेषकर महाराष्ट्र में खेती के रकबे में 10 प्रतिशत की गिरावट के कारण प्याज के दामों में तेजी आई है।
शुक्रवार को प्याज की प्रमुख मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज की थोक कीमत 2950 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गई, जो पिछले 20 माह का सबसे उच्चतम स्तर है। 2018-19 में प्याज का उत्पादन 234.85 लाख टन हुआ है, जबकि 2017-18 में प्याज का उत्पादन 232.62 लाख टन हुआ था।
केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार प्याज का भाव दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में 39-40 रुपए प्रति किलो है। शहर में कुछ खुदरा विक्रेता गुणवत्ता और स्थान विशेष के आधार पर इसे 50 रुपए किलो के भाव पर बेच रहे हैं।
दिल्ली सरकार बेच रही है 23.90 रुपए/किलो पर
केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार से बफर स्टॉक से प्याज लेकर उसे नागरिक आपूर्ति विभाग और राशन की दुकानों के जरिये 23.90 रुपए प्रति किलो के भाव पर बेचने का निर्देश दिया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्याज के ऊंचे दाम को देखते हुए केंद्र ने यह कदम उठाया है।
सरकार के निर्देश पर भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नाफेड) और भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) के साथ-साथ मदर डेयरी बफर स्टॉक से प्याज लेकर उसे राष्ट्रीय राजधानी में बेच रहे हैं।
2000 टन प्याज का होगा आयात
सरकारी स्वामित्व वाली एमएमटीसी ने प्याज की घरेलू आपूर्ति में सुधार लाने और बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए पाकिस्तान, मिस्र, चीन और अफगानिस्तान जैसे देशों से 2,000 टन प्याज आयात के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। एमएमटीसी द्वारा इस साल जारी की गई यह पहली निविदा है।