नई दिल्ली। सरकार ने जलपोत बनाने वाले कारखाना उद्योग को बुनियादी ढांचा उद्योग का दर्जा दिया है। यह दर्जा मिलने से इस उद्योग को बैंकों अथवा वित्त संस्थानां से सस्ती दरों पर लंबी अवधि के लिए कर्ज उपलब्ध हो सकेगा। वर्तमान में कंपनियों औसतन 14 से 15 प्रतिशत की दर पर कर्ज लेतीं हैं। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामले विभाग द्वारा पिछले महीने जारी राजपत्र अधिसूचना में ढांचागत क्षेत्र की उन्नत नई मास्टर सूची जारी की गई है।
अधिसूचना में कहा गया है, नई सूची में 13 अक्टूबर 2014 को जारी अधिसूचना में निम्न बदलाव किए गए हैं, इसमें परिवहन श्रेणी में एक नया उप-क्षेत्र पोत कारखाना (शिपयार्ड) जोड़ा गया है। सरकार के इस कदम से निजी क्षेत्र के पोत कारखानों -एलएंडटी, रिलायंस डिफेंस एंड शिपयार्ड और एबीजी शिपयार्ड को फायदा होगा। परिवहन क्षेत्र में अब कुल मिलाकर सात उप-क्षेत्र हो गए हैं। सड़क एवं पुल, बंदरगाह, पोत कारखाने, अंतरदेशीय जलमार्ग, हवाईअड्डे, रेलवे ट्रैक और शहरी सार्वजनिक परिवहन।
2015-16 में बंदरगाहों पर 60 करोड़ 63.7 लाख टन माल की ढुलाई हुई
सरकार ने बताया कि प्रमुख बंदरगाहों द्वारा गत वित्त वर्ष में 60 करोड़ 63.7 लाख टन माल की ढुलाई की गई, जबकि वर्ष 2014-15 में 58 करोड़ 13.4 लाख टन माल की ढुलाई की गई थी। सड़क परिवहन, राजमार्ग और जहाजरानी राज्यमंत्री पॉन राधाकृष्णन ने बताया कि वर्ष 2015-16 के दौरान प्रमुख बंदरगाहों द्वारा कुल ढुलाई 60 करोड़ 63.7 लाख टन की हुई जो, वित्तवर्ष 2014-15 के दौरान ढुलाई के 58 करोड़ 13.4 लाख टन के मुकाबले 4.3 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि वित्तवर्ष 2016 में 9.4 करोड़ टन प्रतिवर्ष की क्षमता को बढ़ाया गया, जो एक वर्ष में की गई सर्वाधिक वृद्धि को दर्शाता है।