नई दिल्ली। पेट्रोलियम मंत्रालय ने ट्रैक्टर के लिए ईंधन किफायती नियम तैयार करने में मदद के लिए गुरुवार को उच्च स्तरीय समिति गठित की है। इस पहल का मकसद ट्रैक्टर में डीजल खपत में कमी लाना है, जो देश में सालाना कुल डीजल उपयोग का करीब 7.7 प्रतिशत है।
मंत्रालय के आदेश के अनुसार पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय संचालन समिति गठित की गई है। यह समिति छह महीने में अंतरिम रिपोर्ट देगी और नियमों के विकास के लिए अंतिम रूपरेखा 15 महीने में देगी। ट्रैक्टरों का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है और उपयोग के हिसाब से औसत ईंधन खपत अलग-अलग है।
कृषि कार्य में उपयोग (रोटावेटर) में यह सात से आठ लीटर प्रति घर (हाउस) उपयोग होता है, जबकि ट्रेलर में भार के साथ 5 से 7 किलोमीटर प्रति लीटर की खपत होती है। देश में ईंधन के रूप में डीजल की खपत सबसे ज्यादा है। अप्रैल-अक्टूबर 2017 के दौरान 8.2 करोड़ टन पेट्रोलियम उत्पादों में 56 प्रतिशत डीजल की हिस्सेदारी रही है। देश में कुल डीजल खपत में 57 प्रतिशत वाहन उपयोग करते हैं। इसमें ट्रकों की हिस्सेदारी 28.25 प्रतिशत, ट्रैक्टर, कृषि उपकरण तथा कृषि पंपसेट की 13 प्रतिशत है। वहीं कार तथा स्पोट्र्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) 13.15 प्रतिशत डीजल का उपयोग करते हैं।
आदेश के अनुसार, देश की कच्चे तेल के आयात पर बढ़ती निर्भरता तथा ट्रैक्टरों में 7.7 प्रतिशत डीजल उपयोग के मद्देनजर सरकार का यह मानना है कि ईंधन: डीजल का बेहतर तरीके से उपयोग के लिए विभिन्न नियमों को परिभाषित किया जाए। समिति देश में ट्रैक्टरों में ईंधन के बेहतर उपयोग को लेकर रूपरेखा तैयार करेगी और उसके चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन को अंतिम रूप देगी। समिति में भारी उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के महानिदेशक, पुणे स्थित ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया के निदेशक तथा ट्रैक्टर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शामिल हैं।