नई दिल्ली। सरकार ने देश में रक्षा विनिर्माण से 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का लक्ष्य रखा है। सरकार का मानना है कि इस क्षेत्र में कोविड-19 के चलते कई चुनौतियों से जूझ रही पूरी अर्थव्यवस्था में फिर से जान फूंकने की क्षमता है। रक्षा मंत्रालय ने देश में रक्षा विनिर्माण के लिए ‘रक्षा उत्पादन एवं निर्यात संवर्द्धन नीति 2020’ का मसौदा रखा है। इसमें अगले पांच साल में रक्षा एवं एरोस्पेस क्षेत्र में सामान और सेवाओं के 35,000 करोड़ रुपये के निर्यात का लक्ष्य रखा गया है। यह सरकार के इस क्षेत्र के कुल कारोबार अनुमान 1.75 लाख करोड़ रुपये का एक हिस्सा है। इस नीति की परिकल्पना रक्षा मंत्रालय को एक व्यापक मार्गदर्शन देने वाले दस्तावेज के रूप में की गयी है।
यह नीति मंत्रालय को सैन्य हार्डवेयर और मंच के उत्पादन में आत्म-निर्भर बनाने एवं निर्यात के लिए सक्षम बनाने को लेकर लक्षित, ढांचागत तरीके से निर्देशित करेगी। अधिकारियों ने कहा कि नीति का लक्ष्य एक गतिशील, वृद्धिपरक और प्रतिस्पर्धी रक्षा उद्योग को विकसित करना है। इसमें लड़ाकू विमानों के विनिर्माण से लेकर जंगी जहाज बनाना भी शामिल है जो देश के सशस्त्र बलों की जरूरत को पूरा करने में सक्षम हो। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई सुधारों की घोषणा की थी। इसमें स्वदेश निर्मित सैन्य उत्पादों की खरीद के लिए अलग से बजटीय आवंटन भी शामिल था। साथ ही रक्षा क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर चौहत्तर प्रतिशत भी किया गया।
वित्त मंत्री ने सालाना आधार पर ऐसे हथियारों की प्रतिबंधित सूची बनाने की भी घोषणा की थी जिनके आयात की अनुमति नहीं होगी। भारत वैश्विक रक्षा उत्पाद कंपनियों के लिए पसंदीदा बाजार है, क्योंकि पिछले आठ साल से भारत दुनिया के तीन सबसे बड़े रक्षा उत्पाद आयातकों में बना हुआ है। अगले पांच साल में भारतीय रक्षा बलों के सैन्य उत्पादों पर करीब 130 अरब डॉलर खर्च करने का अनुमान है। रक्षा उत्पादन एवं निर्यात सवंर्द्धन नीति के मसौदे में आयात पर निर्भरता कम करने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को आगे बढ़ाते हुए घरेलू स्तर पर उत्पादों को डिजाइन और विकसित करने की रुपरेखा भी पेश की गयी है।