नई दिल्ली। सरकार ने वित्त वर्ष 2018- 19 की वार्षिक जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि को तीन माह बढ़ाकर सितंबर 2020 तक कर दिया है। उद्योग एवं व्यावसाय के पक्ष में लिए गए एक और निर्णय के तहत केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने 24 मार्च को अथवा इससे पहले लिए गए ई-वे बिलों, जिनकी वैघता अवधि 20 मार्च से 15 अप्रैल 2020 के बीच खत्म होने वाली थी, उनकी वैधता अवधि को भी बढ़ा दिया है। इसके साथ ही सरकार ने उद्योग एवं व्यापार की सुविधा में लिए गए एक और फैसले में उद्योग एवं व्यावसाय को जीएसटी रिटर्न फाइलिंग और कर भुगतान की इलेक्ट्रानिक वेरीफिकेशन कोड (ईवीसी) के जरिये सत्यापित करने की अनुमति दे दी है। यह अनुमति 30 जून तक के लिए दी गई है।
डिजिटल हस्ताक्षर की जरूरत को देखते हुए मासिक जीएसटी रिटर्न फाइल करने और कर भुगतान में हो रही देरी को देखते हुए सरकार ने कारोबारियों को ईवीसी के जरिये ही रिटर्न को सत्यापित करने की अनुमति दे दी है। केंद्रीय अप्रतयक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने ट्वीट जारी कर कहा है कि वित्त वर्ष 2018- 19 की माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की वार्षिक रिटर्न दाखिल करने और उसके मिलान वक्तव्य के लिए समय सीमा को 30 सितंबर 2020 तक बढ़ाने के बारे में एक अधिसूचना जारी की जा चुकी है।
ईवाई के कर भागीदारी अभिषेक जैन ने कहा कि देश का बड़ा हिस्सा पूरी तरह से लॉकडाउन में है या फिर आंशिक लॉकडाउन के तहत है ऐसे में उद्योगों के लिए जून अंत की समय सीमा के भीतर यह काम करना मुश्किल होता। ऐसे में सीबीआईसी की तरफ से समय सीमा को बढ़ाने का फैसला उद्योगों को काफी राहत देगा। साथ ही इससे सरकार की सामंजस्य बिठाने की मंशा का भी पता चलता है।
सीबीआई से ने एक अन्य अधिसूचना में कहा है कि 21 अप्रैल 2020 से लेकर 30 जून 2020 के बीच किसी भी पंजीकृत व्यक्ति को यह अनुमति होगी कि वह धारा 39 के तहत फॉर्म जीएसटीआर-3बी में रिटर्न भरकर उसका इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन कोड (ईवीसी) के जरिये सत्यापन कर सकता है। वर्तमान में कारोबारियों को अपनी मासिक जीएसटी रिटर्न भरने और कर का भुगतान करने के लिए जीएसटीआर-3बी फॉर्म में डिजिटल हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होती है। बहरहाल लॉकडाउन की वजह से कार्यालयों के बंद होने के कारण कारोबारी डिजिटल हस्ताक्षर प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं, जिसकी वजह से रिटर्न दाखिल करने में देरी हो रही है।