नई दिल्ली। गन्ना किसानों की बढ़ती बकाया राशि को देखते हुये एक अनौपचारिक मंत्रीस्तरीय समिति की बैठक में सोमवार को समस्या के निदान के लिये विभिन्न विकल्पों पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में उत्पादन से जुड़ी सब्सिडी देने, चीनी उपकर लगाने और एथनॉल पर जीएसटी कम करने सहित चीनी मिलों की मदद के लिए कई वैकल्पिक उपायों पर विचार किया गया। चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया 19,000 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नीतिन गडकरी, खाद्य मंत्री राम विलास पासवान और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बैठक कर गन्ना किसानों के बढ़ते बकाये की समस्या को लेकर विचार विमर्श किया। बैठक में प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा, कृषि मंत्रालय, वाणिज्य, खाद्य, पेट्रोलियम और वित्त मंत्रालय के अधिकारी भी उपस्थित थे।
पासवान ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि गन्ने का बकाया 19,000 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। हमने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया। इस बारे में कई तरह के सुझावों पर विचार किया गया। उत्पादन से जुड़ी सब्सिडी, चीनी उपकर और एथनॉल पर जीएसटी दर को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने जैसे कई विकल्पों पर चर्चा हुई।
उन्होंने कहा कि सरकार ने फिलहाल कुछ भी फैसला नहीं लिया है और हो सकता है इस मुद्दे पर कैबिनेट नोट तैयार करने से पहले एक और बैठक हो। पासवान ने कहा कि एक सुझाव यह भी था कि एथनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इसकी कुछ मात्रा की मिलावट को अनिवार्य कर दिया जाए।
पासवान ने कहा कि सरकार ने पहले ही चीनी पर आयात शुल्क दोगुना कर 100 प्रतिशत कर दिया है जबकि दूसरी तरफ निर्यात शुल्क को समाप्त कर दिया गया है। सरकार ने मिलों को 20 लाख टन चीनी निर्यात की भी अनुमति दी है।
चीनी मिलों के संगठन इस्मा के मुताबिक देश में चीनी उत्पादन अब तक के रिकार्ड स्तर 2.99 करोड़ टन तक पहुंच चुका है। यह आंकड़ा 15 अप्रैल तक का है। गन्ना उत्पादन बढ़ने से यह स्थिति बनी है जिससे की गन्ना किसानों का बकाया 20,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।