नई दिल्ली। अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे में कथित रिश्वतखोरी को लेकर बढ़ते विवाद के बीच विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने उक्त इतालवी कंपनी के भारतीय संयुक्त उद्यम में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव पर फैसला टाल दिया है। कंपनी का भारत में टाटा संस के साथ संयुक्त उद्यम है। अगस्ता वेस्टलैंड (फिनमेकैनिका की एक कंपनी) व टाटा संस का संयुक्त उद्यम इंडियन रोटोक्राफ्ट है। यह संयुक्त उद्यम एडब्ल्यू119केई हेलीकॉप्टर के लिए असेंबली इकाई स्थापित करने के लिए बनाया गया है और इसने संयुक्त उद्यम में एफडीआई को 17.6 करोड़ रुपए के बजाय 19.64 करोड़ रुपए करने की मंजूरी मांगी थी। बढ़ी पूंजी पहले ही आ चुकी थी जबकि 17.6 करोड़ रुपए की मंजूरी सितंबर 2011 में दी गई थी।
इसके साथ ही कंपनी ने विदेशी निवेशक को बदलकर अगस्ता वेस्टलैंड एस.पी.ए. से फिनमैकेनिका एस.पी.ए. करने की अनुमति मांगी थी। यह बदलाव अगस्ता वेस्टलैंड एस पी ए इटली के फिनमैकेनिका एस पी ए में विलय के रूप में किया जाना था। वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि इंडियन रोटोक्राफ्ट के प्रस्ताव पर फैसला टाल दिया गया है। प्रस्ताव को टालने के लिए कोई वजह नहीं बताई गई है।
एफआईपीबी की बैठक आठ अप्रैल को हुई थी। टाटा ने इससे पहले कहा था कि इंडियन रोटोक्राफ्ट का अगस्ता वेस्टलैंड द्वारा भारत सरकार को एडब्ल्यू101 सैन्य हेलीकॉप्टर की आपूर्ति से कोई लेना देना नहीं है। आरोप है कि संप्रग सरकार के दौरान 12 एडब्ल्यू101 सैन्य हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति का ठेका पाने के लिए रिश्वत दी गई।
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