नयी दिल्ली। सरकार ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह तथा इसके प्रशासन को दुरुस्त करने के उपायों का सुझाव देने के लिये अधिकारियों की एक समिति गठित की है। एक आधिकारिक आदेश में कहा गया, 'समिति विस्तृत सुधारों पर विचार करेगी ताकि सुझावों की व्यापक सूची उभर कर आ सके।' जीएसटी काउंसिल सचिवालय की ओर से गुरुवार को जारी एक बयान के मुताबिक, इस समिति में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के अधिकारियों को शामिल किया गया है।
समिति के गठन की शर्तों में दुरुपयोग रोकने के उपायों तथा स्वैच्छिक अनुपालन में सुधार के कदमों समेत जीएसटी में संरचनात्मक बदलावों के बारे में सुझाव देना है। समिति को कर आधार बढ़ाने के उपायों के बारे में भी सुझाव देने की जिम्मेदारी दी गयी है।
15 दिनों के भीतर सौंपेगी रिपोर्ट
आदेश में कहा गया कि कानून में नीतिगत उपायों तथा संबंधित बदलावों की जरूरत है। आंकड़ों के बेहतर विश्लेषण तथा बेहतर प्रशासनिक समन्वय के जरिए अनुपालन की बेहतर निगरानी तथा अपवंचना रोधी उपायों का सुझाव देना भी गठन की शर्तों में शामिल है। समिति को व्यापक सुधारों की सूची पेश करने की जिम्मेदारी दी गई है। आदेश में कहा गया, 'समिति 15 दिनों के भीतर जीएसटी सचिवालय में पहली रिपोर्ट सौंप देगी।' समिति नियमों का दुरुपयोग रोकने, नियमों का स्वत: अनुपालन बढ़ाने, कानून में जरूरी संशोधन करने, कर का आधार बढ़ाने, बेहतर डाटा विश्लेषण के जरिये कर चोरी रोकने और बेहतर प्रशासनिक तालमेल बनाने के उपायों पर विचार कर सकती है।
12 सदस्यों की है समिति
समिति के सदस्यों में केंद्र सरकार की ओर से प्रधान आयुक्त जीएसटी पीडब्ल्यू, संयुक्त सचिव (टीआरयू 1एवं2), एडीजी (एआरएम), एडीजी (सिस्टम) और संयुक्त सचिव (राजस्व) शामिल हैं। राज्य सरकारों की ओर से समिति में सदस्य के तौर पर महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पंजाब के आयुक्त एसजीएसटी शामिल हैं। इसके अलावा जीएसटी काउंसिल सचिवालय के संयुक्त सचिव और जीएसटीएन के कार्यकारी वाइस प्रेसिडेंट को भी समिति में सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है।
जीएसटी वसूली में नहीं हो रही अपेक्षित बढ़ोतरी
जीएसटी कानून के तहत राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई करने की क्षमता को लेकर संदेह उभरने के बाद सरकार ने 2018 में जीएसटी मुआवजा कानून में संशोधन कर 28 फीसदी स्लैब में पड़ने वाले नुकसानदेह वस्तुओं की आपूर्ति पर सेस लगा दिया। सरकार का अनुमान था कि सेस लगाने से जीएसटी वसूली बढ़ेगी और आसानी से राज्यों को क्षतिपूर्ति की जा सकेगी। लेकिन जहां जीएसटी वसूली की वृदि्ध दर 12 फीसदी लक्ष्य के मुकाबले पांच फीसदी से भी कम है, वहीं सेस की वसूली भी अनुमान से काफी पीछे है। इसे देखते हुए सरकार जीएसटी वसूली बढ़ाने के उपाय खोजने में लगी हुई है।