नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को निधि कंपनियों में निवेश को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी है। सरकार ने एक बार फिर निवेशकों से अपना पैसा लगाने से पहले निधि कंपनियों के पिछले कामकाज की जांच करने का आग्रह किया, क्योंकि कम से कम 348 संस्थाएं निधि कंपनियों के रूप में घोषित किए जाने से जुड़े मानदंडों को पूरा करने में विफल रही हैं। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने छह महीने में दूसरी बार परामर्श जारी किया है क्योंकि ऐसी बहुत सारी कंपनियां हैं जो निधि कंपनियों के रूप में काम कर रही हैं, लेकिन उन्होंने इससे जुड़े नियमों के तहत ऐसा दर्जा हासिल करने के लिए आवेदन नहीं दिया है।
मंत्रालय ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि 348 कंपनियां कंपनी अधिनियम, 2013 और निधि नियम 2014 के तहत निधि कंपनियों के रूप में घोषणा के लिए आवश्यक मानदंडों को पूरा करने में विफल रहीं। निधि कंपनियां वे गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाएं हैं जो अपने सदस्यों को ऋण देतीं और ऋण लेती हैं। कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 406 और संशोधित निधि नियमों के तहत, निधि के रूप में गठित कंपनियों के लिए निधि संस्थाओं के रूप में घोषणा की खातिर मंत्रालय के पास 'एनडीएच-4' फॉर्म के साथ आवेदन देना जरूरी है। विज्ञप्ति के अनुसार, "यह देखा गया है कि कंपनियां कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत निधि के रूप में घोषणा के लिए केंद्र सरकार के पास आवेदन दे रही हैं, लेकिन 24 अगस्त, 2021 तक खंगाले गए 348 फॉर्म में से, एक भी कंपनी केंद्र सरकार द्वारा निधि कंपनी के रूप में घोषित करने के लिए आवश्यक मानदंडों को पूरा नहीं कर पायी।"
निधि कंपनियां एनबीएफसी का ही एक हिस्सा है, और कंपनी सिर्फ अपने सदस्यों से पैसा लेकर अपने सदस्यों को ही कर्ज ऑफर करती हैं। निधि कंपनियों की शुरुआत के पीछे लोगों की बचत की आदत को प्रोत्साहित करना और छोटे मोटे कार्यों के लिये आसानी से कर्ज मुहैया कराना था। हालांकि ऐसी कंपनियों में लोगों के द्वारा रकम जमा करने से जो नियमों को पूरा नहीं करती, लोगों के पैसे डूबने की आशंका बन जाती है, जिसे देखते हुए सरकार बार बार चेतावनी जारी कर रही है।