नई दिल्ली। सरकार वोडाफोन और केयर्न एनर्जी जैसी कंपनियों पर अरबों डॉलर की टैक्स देनदारी को माफ नहीं कर सकती। सरकार ज्यादा से ज्यादा जो कर सकती थी, वह किया है। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने रविवार को कहा कि यदि यह कंपनियां मूल राशि का भुगतान करती हैं तो ब्याज और जुर्माने का प्रावधान हटाया जा सकता है।अधिया ने एक साक्षात्कार में कहा कि सरकार ने इससे पहले रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स का सामना कर रहीं कंपनियों को संकेत दिया था कि अदालत के बाहर टैक्स विवाद को सुलझाने के तरीके के तौर पर मूल राशि के भुगतान पर ब्याज और जुर्माना माफ हो सकता है। आम बजट 2016-17 में और औपचारिक पहल की गई है और इसे संवैधानिक स्वरूप दिया गया है। उन्होंने कहा, सरकार ने इसकी सीमा तय की है कि हम इतना कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, इससे पहले हम सिर्फ संकेत दे रहे थे। अब यह संवैधानिक हो गया है। सरकार ने अब कहा है कि हम इतना कर सकते हैं। सरकार ने जाहिर कर दिया है कि इतना ही हम कर सकते हैं और इसीलिए हम इसे संवैधानिक स्वरूप दे रहे हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ पूरी तरह टैक्स मांग को माफ न करने की वजह का ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा कि आयकर अधिनियम में रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स में संशोधन का प्रावधान पिछली सरकार ने किया था और मौजूदा सरकार इसे पूरी तरह से खारिज नहीं कर सकती। अधिया ने कहा, रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स की व्यवस्था इस सरकार ने नहीं पिछली सरकार ने की थी। अब यह सरकार पूरी तरह से इसे माफ करे तो थोड़ा अजीब लगता है। इसीलिए सरकार ने कहा है कि हम इतना कर सकते हैं।
ब्रिटेन की तेल उत्खनन कंपनी केयर्न एनर्जी पर 2006 में सूचीबद्ध होने से पहले भारतीय कारोबार के पुनर्गठन के संबंध में 10,247 करोड़ रुपए का टैक्स बकाया है। कंपनी ने कहा है कि उसने सारा टैक्स चुका दिया है। कोई देनदारी बकाया नहीं है। इस मुद्दे पर सरकार को मध्यस्थता की स्थिति में लाने के लिए भारत-ब्रिटेन बीपा का हवाला दिया है। ब्रिटेन की दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनी वोडाफोन के सामने 11 अरब डॉलर की टैक्स अदायगी का संकट है। यह मामला 2007 में हचिसन वाम्पोआ के मोबाइल फोन कारोबार में 67 फीसदी हिस्सेदारी के अधिग्रहण से जुड़ा है। ब्रिटेन की दूसरंचार कंपनी का कहना है कि उस पर कोई कर बकाया नहीं है क्योंकि सौदा विदेश में हुआ।