नयी दिल्ली। सरकार चालू वित्त वर्ष में उन 50,000 और कंपनियों का पंजीकरण रद्द कर सकती है जो लंबे समय से कोई भी कारोबारी गतिविधियां नहीं कर रही हैं। अवैध रूप से धन प्रवाह पर अंकुश लगाने के लिये जारी तेज प्रयास के बीच इस बात की संभावना जतायी जा रही है। उल्लेखनीय है कि 2.26 लाख कंपनियों के नाम पहले ही आधिकारिक रिकार्ड से हटाये जा चुके हैं। इसके अलावा कार्रवाई के लिये इतनी ही संख्या में कंपनियों की पहचान की गयी है।
वित्त वर्ष 2018-19 में कारपोरेट कार्य मंत्रालय ने करीब 2.26 लाख कंपनियों की पहचान की है जो लगातार दो या अधिक वर्ष से अपेक्षित सूचनाएं नहीं दे रही थी। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि करीब 70,000 कंपनियां लंबे समय से कारोबारी गतिविधियों में शामिल नहीं थी। चालू वित्त वर्ष में इन कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया गया है।
अधिकारी ने कहा कि 31 मार्च 2019 को समाप्त होने वाले मौजूदा वित्त वर्ष में 50,000 ऐसी कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। पिछले महीने कारपोरेट कार्य मंत्री पी पी चौधरी ने कहा कि कंपनी पंजीयक ने करीब 2.26 लाख कंपनियों की पहचान की है जिन्होंने वित्तीय लेखा-जोखा या सालाना रिटर्न लगातार दो या अधिक वित्त वर्ष तक नहीं दिये। उन्होंने कहा था कि रिकार्ड से कंपनियों को हटाना नियमों के अनुसार है और यह एक निरंतर प्रक्रिया है। ऐसी आशंका है कि अवैध धन प्रवाह के उपयोग के लिये मुखौटा कंपनियों का उपयोग किया जाता रहा है।