नई दिल्ली। सरकारी बैंकों के विलय का विरोध एवं अन्य मांगों को लेकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारी आज हड़ताल पर रहे, जिससे सामान्य बैंकिंग गतिविधियां प्रभावित हुईं। बैंक की शाखाओं में जमा, निकासी, चेक समाशोधन, एनईएफटी और आरटीजीएएस लेन-देन प्रभावित हुए। हालांकि आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे निजी बैंकों में बैंकिंग गतिविधियां लगभग सामान्य रहीं।
हड़ताल का आह्वान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) के तत्वाधान में विभिन्न यूनियनों ने किया है। भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने उपभोक्ताओं को पहले ही बता दिया था कि अगर हड़ताल होती है तो शाखाओं में कामकाज प्रभावित हो सकता है। आईबीए ने बैंकों से हड़ताल का असर कम करने के उपाय भी करने को कहा था।
यूएफबीयू बैंकिग क्षेत्र के नौ यूनियनों का शीर्ष संगठन है। इसमें ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया एंप्लायज एसोसिएशन (एआईबीईए) तथा नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) शामिल हैं। एनओबीडब्ल्यू के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा कि हड़ताल का कारण बैंकों के विलय का विरोध तथा अन्य मांगें हैं। अन्य मांगों में कॉरपोरेट ऋण के गैर निष्पादित परिसंपत्तियों को बैलेंस शीट से नहीं हटाए जाने की नीति, विलफुल डिफॉल्ट को आपराधिक कृत्य घोषित किया जाना और एनपीए की वसूली के लिए ससंदीय समिति के सुझाावों को लागू करना शामिल है।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के दौरान बैंक कर्मचारियों ने कई घंटे अतिरिक्त काम किया है और उन्हें इसके लिए ओवरटाइम दिया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि देश के पूरे बैंकिंग कारोबार में 21 सार्वजनिक बैंकों की 75 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
‘कामकाज प्रभावित हुआ तो सरकार होगी जिम्मेवार’
AIBOC के महासचिव डी टी फ्रांको ने कहा, मुख्य श्रम आयुक्त के समक्ष मेल-मिलाप को लेकर बैठक विफल रही है, ऐसे में यूनियनों के पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। सरकार तथा बैंक प्रबंधन की तरफ से कोई आासन नहीं मिला है। भारतीय मजदूर संघ (BMS) से सम्बद्धित NOBW की सोमवार को जारी विग्यप्ति के अनुसार सरकार ने हड़ताल को टालने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। इसलिए हड़ताल के कारण बैंक ग्राहकों को होने वाली किसी भी दिक्कत के लिए सीधे सरकार ही जिम्मेदार होगी। यूनियनों ने हड़ताल के लिए तीन अगस्त को ही नोटिस दे दिया था। NOBW के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा है कि सरकार बैंक कर्मियों की मांग को लेकर उदासीन बनी हुई है।