नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में पूंजीगत सामान क्षेत्र के लिए अपनी तरह की पहली नीति को मंजूरी दी। इससे इस क्षेत्र में 2025 तक 2.10 करोड़ से अधिक रोजगार के अतिरिक्त अवसर सृजित हो सकते हैं। राष्ट्रीय पूंजीगत सामान नीति का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी पूंजीगत सामान क्षेत्र के लिए ऐसा अनुकूल माहौल तैयार करना है, जिसमें कि 2025 तक कुल उत्पादन को वर्तमान 2.3 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचाया जा सके।
सरकारी प्रवक्ता ने ट्वीट संदेश में यह जानकारी दी। अधिकारी ने लिखा है, मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय पूंजीगत सामान नीति के लिए अपनी मंजूरी दी। उत्पादन 2025 में बढ़कर 7,50,000 करोड़ रुपए होगा, जो कि 2014-15 में 2,30,000 करोड़ रुपए था। रोजगार 84 लाख से बढ़कर तीन करोड़ होंगे।
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इस नीति का मकसद भारत के पूंजीगत सामान क्षेत्र में घरेलू उत्पादन का हिस्सा 2025 तक 60 फीसदी से बढ़ाकर 80 फीसदी करना भी है। इसके साथ ही घरेलू क्षमता इस्तेमाल को भी बढ़ाकर 80 से 90 फीसदी तक पहुंचाना है।
इसके अनुसार पूंजीगत वस्तुओं के निर्यात को बढ़ाकर उत्पादन के मौजूदा 27 फीसदी के स्तर से बढाकर 40 फीसदी किया जाना है। देश की मांग में घरेलू उत्पादन का हिस्सा 60 फीसदी से बढ़ाकर 80 फीसदी करना है। इस नीति का मकसद समूची विनिर्माण गतिविधियों में पूंजीगत सामान का हिस्सा मौजूदा 12 फीसदी से बढ़ाकर 2025 तक 20 फीसदी तक पहुंचाना है। केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा, अगर देश में विनिर्माण गतिवधियों के साथ-साथ पूंजीगत सामान विनिर्माण हुआ तो समूची अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा।
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