नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए मौजूदा टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड (टफ) योजना के स्थान पर संशोधित टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड स्कीम (ए-टफ्स) को मंजूरी दी है। सरकार के इस कदम से नए रोजगार पैदा होने और एक्सपोर्ट बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। संशोधित स्कीम से मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बढ़ावा मिलेगा और इस सेक्टर में 1 लाख करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित होने के साथ ही 30 लाख नए रोजगार अवसर पैदा होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में यह फैसला किया गया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि 17,822 करोड़ रुपए के बजट प्रावधान को मंजूरी दी गई, जिसमें 12,671 करोड़ रुपए मौजूदा परियोजनाओं और 5,151 करोड़ रुपए संशोधित टफ स्कीम के लिए तय किए गए हैं। बयान में कहा गया कि योजना में संशोधन से उम्मीद है कि इससे पहले की योजना की खामियां दूर की जा सकें और कारोबार सुगम बनाया जा सके। इससे कपड़ा क्षेत्र में रोजगार सृजन और निर्यात को बड़े पैमाने पर बढ़ावा मिलेगा।
नई योजना के तहत दो व्यापक खंड- परिधान, कपड़े और तकनीकी कपड़े- होंगे, जिनमें पूंजी निवेश पर 15 फीसदी सब्सिडी प्रदान की जाएगी। इस पर उद्यमियों के लिए पांच साल के लिए 30 करोड़ रुपए तक की निवेश सीमा तय की गई है। शेष उप-खंडों को 10 फीसदी की दर से सब्सिडी मिलेगी, जिस पर इसी तरह 20 करोड़ रपए की सीमा होगी। अप्रैल 2015 में पेश आई-टफ स्कीम के तहत शुरू की गई योजनाओं का कार्यान्वयन और निगरानी की जाएगी। नई योजना का लक्ष्य परिधान और पोशाक उद्योग को बढ़ावा देकर मुख्य तौर पर रोजगार सृजन और निर्यात होगा, जिससे विशेष तौर पर महिलाओं को रोजगार मिलेगा और वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी।
बयान में कहा गया है कि कपड़ा आयुक्त कार्यालय में लंबित सभी मामले जो हर लिहाज से पूरे हैं उन्हें मौजूदा योजना के तहत सहायता प्रदान की जाएगी और नई योजना को भी इसके दायरे में लाया जाएगा। इसके अलावा कपड़ा आयुक्त कार्यालय का पुनर्गठन किया जा रहा है और इसके कार्यालयों की स्थापना हर राज्य में की जाएगी। ये कार्यालय उद्योग स्थापित करने के लिए उद्यमियों साथ मिलकर काम करेंगे। टफ स्कीम को 1999 में पेश किया गया था ताकि कपड़ा उद्योग को वैश्विक तौर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए नई एवं उचित प्रौद्येगिकी की सुविधा प्रदान की जा सके और कपड़ा उद्योग के लिए पूंजी लागत घटाई जा सके।