नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चीनी वर्ष 2020-21 में चीनी के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए गाड़लाइन जारी कर दी है। नए कदमों में सरकार शुगर मिल्स को मार्केटिंग की लागत में मदद देगी जिससे मिल चीनी का एक्सपोर्ट बढ़ा सकें। इस कदम से चीनी मिलों के पास नकदी की स्थिति बेहतर हो सकेगी और वो किसानों का बकाया भुगतान करने में सक्षम होंगी।
आज जारी हुए नोटिफिकेशन के मुताबिक चीनी मिलों को मार्केटिंग लागत के लिए 1600 रुपये प्रति टन की मदद दी जाएगी । इस लागत में चीनी का रखरखाव क्वालिटी को बेहतर करने के लिए उठाए गए कदम एवं अन्य प्रोसेसिंग कॉस्ट शामिल होंगे। इसके साथ ही चीनी के ट्रांसपोर्ट के लिए 2400 रुपये प्रति टन और भारत के बंदरगाहों से शिपमेंट के लिए 2000 रुपये प्रति टन की मदद दी जाएगी। चीनी मिलें ये रकम दो किश्तों में उठा सकेंगे। चीनी मिल अपने मैक्सिमम एड्मिसबल एक्सपोर्ट क्वांटिटी (MAEQ) के 50 फीसदी हिस्से को एक्सपोर्ट करने के बाद मदद के पहले हिस्से के लिए दावा कर सकेंगी। सरकार के मुताबिक इस मदद से चीनी मिलों के पास किसानों को भुगतान करने के लिए रकम मिल सकेगी।
मांग के मुकाबले चीनी के उत्पादन में तेज उछाल की वजह से चीनी की कीमतों में लगातार दबाव देखने को मिल रहा है। लागत से कम पर चीनी बिकने की वजह से शुगर मिलों पर किसानों का बकाया लगातार बढ़ता जा रहा है। इसे देखते हुए सरकार ने चीनी के एक्सपोर्ट में तेजी लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। जिससे शुगर मिल को बेहतर रकम मिले और वो गन्ना किसानों का बकाया चुका सकें। एक्सपोर्ट पर दी गई मौजूदा राहत भी इसी कड़ी का हिस्सा है।