नई दिल्ली। कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार और एक लाख टन चना और मसूर दाल का आयात करने का फैसला किया है। इससे बाजार में सप्लाई बढ़ेगी और कीमतों पर दबाव बनेगा। इस बारे में फैसला उपभोक्ता मामले सचिव हेम पांडे की अगुवाई वाली अंतर मंत्रालयीय समिति ने लिया है। समिति की बैठक में कृषि, खाद्य, वाणिज्य एवं वित्त मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद थे। इस बैठक में सरकारी व्यापार कंपनी एमएमटीसी और सहकारिता संस्था नेफेड के अधिकारीगण भी मौजूद थे।
खाद्य मंत्रालय द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है, सरकार ने दालों का बफर स्टॉक को बढ़ाने के लिए आगे और 20,000 टन चना और 80,000 टन मसूर आयात का फैसला किया है। वक्तव्य में कहा गया है कि राज्यों द्वारा समय पर पर्याप्त मात्रा में दालों का उठान नहीं किये जाने पर उपयुक्त समय में प्रभावी बाजार हस्तक्षेप के लिए बफर स्टॉक से दलहन जारी करने की वैकल्पिक प्रणाली के बारे में भी बैठक में विचार किया गया। बैठक में पाया गया कि हाल के सप्ताहों में दलहन कीमतों में गिरावट का रूख बना है तथा दलहन की अधिक बुवाई के मद्देनजर आने वाले दिनों में इनके दाम में और गिरावट की उम्मीद है।
बेहतर मानसून के कारण दलहन बुवाई 33 फीसदी बढ़ी
बेहतर मानसून और बाजार मूल्य में वृद्धि के कारण चालू खरीफ सत्र में अभी तक दलहनों की बुआई 33 फीसदी बढ़कर 130.17 लाख हेक्टेयर हो गई है। पिछले सत्र की समान अवधि में दलहनों की बुवाई 97.70 लाख हेक्टेयर में की गई थी। इस बार बुवाई के बढ़े हुए रकबे के कारण उत्पादन अधिक होने और नए फसल के बाजार में आने के बाद फुटकर कीमतों के कम होने की उम्मीद बढ़ी है।