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Strong Signal: टेलीकॉम कंपनियों को स्‍पेक्‍ट्रम ट्रेडिंग की मंजूरी, कॉल ड्रॉप समस्‍या से मिलेगी राहत!

केंद्र सरकार ने मंगलवार को स्‍पेक्‍ट्रम ट्रेडिंग की मंजूरी के साथ ही इसके लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत टेलीकॉम सर्विस प्रदाता कंपनियां एक-दूसरे से अपनी जरूरत के मुताबिक स्पेक्ट्रम की खरीद-बिक्री कर सकेंगी और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार ला सकेंगी।

Abhishek Shrivastava
Updated : October 13, 2015 18:39 IST
Strong Signal: टेलीकॉम कंपनियों को स्‍पेक्‍ट्रम ट्रेडिंग की मंजूरी, कॉल ड्रॉप समस्‍या से मिलेगी राहत!
Strong Signal: टेलीकॉम कंपनियों को स्‍पेक्‍ट्रम ट्रेडिंग की मंजूरी, कॉल ड्रॉप समस्‍या से मिलेगी राहत!

नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को स्‍पेक्‍ट्रम ट्रेडिंग की मंजूरी के साथ ही इसके लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत टेलीकॉम सर्विस प्रदाता कंपनियां एक-दूसरे से अपनी जरूरत के मुताबिक स्पेक्ट्रम की खरीद-बिक्री कर सकेंगी और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार ला सकेंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार का यह कदम बहुत अच्‍छा है और इससे महंगे स्‍पेक्‍ट्रम का अधिकतम उपयोग हो सकेगा और कॉल ड्रॉप की समस्‍या से बहुत हद तक राहत मिलेगी।

अभी तक टेलीकॉम कंपनियां केवल नीलामी के जरिये ही स्‍पेक्‍ट्रम हासिल कर सकती थीं। सरकार ने अब नए दिशा-निर्देशों के तहत अतिरिक्‍त स्‍पेक्‍ट्रम की ट्रेडिंग को अनुमति दे दी है।

कॉल ड्रॉप की समस्‍या होगी खत्‍म

एमटीएनएल के पूर्व सीएमडी आरएसपी सिन्‍हा का कहना है कि इस कदम से टेलीकॉम कंपनियों को स्पेक्‍ट्रम की कमी से नहीं जूझना होगा और इससे कॉल ड्रॉप की समस्‍या का भी समाधान होगा। टेलीकॉम इंडस्‍ट्री की विशेषज्ञ और टेलीकॉम लाइव की एडिटर रश्मि सिंह का कहना है कि इस नई व्यवस्था से घाटा झेल रही कंपनियों के लिए बाजार से बाहर निकलने का एक रास्‍ता भी तैयार हुआ है। इससे ऐसे ऑपरेटरों को राहत मिलेगी, जिनके ग्राहकों का आधार काफी अधिक है और जिन्‍हें स्पेक्ट्रम की कमी महसूस हो रही है। उदाहरण के तौर पर आइडिया के पास ग्राहक आधार बहुत ज्‍यादा है, जबकि उसके पास स्‍पेक्‍ट्रम की कमी है। वहीं दूसरी ओर एमटीएनएल के पास स्‍पेक्‍ट्रम अधिक है, लेकिन उसके पास ग्राहक नहीं हैं। ऐसे में नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोई कंपनी अपने सर्किल के दूसरे ऑपरेटर को अपना पूरा या कुछ स्पेक्ट्रम बेच सकती है।

आवंटित फ्रीक्‍वेंसी में होगी ट्रेडिंग

सरकार ने कहा है कि स्पेक्ट्रम की ट्रेडिंग सिर्फ आवंटित फ्रीक्‍वेंसी जैसे 800 मेगाहर्ट्ज (सीडीएम मोबाइल सेवाओं के लिए इस्तेमाल), 900 मेगाहर्ट्ज (2जी और 3जी), 1800 मेगाहर्ट्ज (2जी और 4जी), 2100 मेगाहर्ट्ज (3जी), 2,300 मेगाहर्ट्ज(4जी) तथा 2500 मेगाहर्ट्ज (4जी) में ही होगी। केवल नीलामी के जरिये खरीदे गए स्पेक्ट्रम या फिर जिसके लिए बाजार कीमत दी गई हो, उसी की ही खरीद-बिक्री की जा सकेगी।

एक फीसदी टैक्‍स लेगी सरकार

सरकार ने यह स्‍पष्‍ट किया है कि एक टेलीकॉम ऑपरेटर को ट्रेडिंग की अनुमति तभी होगी, जब उसके द्वारा खरीदे गए स्‍पेक्‍ट्रम की अवधि दो साल पूरी होगी। इस अवधि को पूरा करने के बाद ही ऑपरेटर ट्रेडिंग कर सकेगा। इंडस्‍ट्री के विरोध के बावजूद सरकार ने स्‍पेक्‍ट्रम खरीददार पर पूरे लेनदेन के लिए एक फीसदी स्‍थानांतरण शुल्‍क लगाने का फैसला लिया है। हालांकि, टेलीकॉम ऑपरेटर्स को यह तय करने की आजादी होगी कि वे किस मूल्य पर स्पेक्ट्रम की खरीद-बिक्री करते हैं, लेकिन सरकार टैक्‍स और अन्य शुल्क हाल में नीलामी से निकले मूल्य के आधार पर लगाएगी।

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