नई दिल्ली। प्राइवेट लाइफ इंश्योरेंस कंपनी रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस ने सोमवार को 2020-21 के लिए अपने प्रतिभागी पॉलिसीहोल्डर्स के लिए 306.88 करोड़ रुपये के बोनस की घोषणा की है। कंपनी ने बताया कि इस बोनस से उसके 6,85,000 प्रतिभागी पॉलिसीहोल्डर्स को लाभ मिलेगा।
कंपनी ने कहा कि 31 मार्च, 2021 तक लागू सभी प्रतिभागी पॉलिसियों पर घोषित बोनस का भुगतान किया जाएगा। रिवर्सनरी बोनस के साथ वाली पॉलिसियों में यह मृत्यु और परिपक्वता पर गारंटी लाभ में वृद्धि होगी। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए कंपनी के प्रतिभागी पॉलिसीहोल्डर्स द्वारा अर्जित लाभ में से इस बोनस का भुगतान किया जाएगा। 31 मार्च, 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में कंपनी को 50 करोड़ रुपये का कर पश्चात लाभ हुआ है।
रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस, रिलायंस कैपिटल और निप्पन लाइफ इंश्योरेंस, जापान के बीच एक संयुक्त उद्यम है। 31 मार्च, 2021 तक इसकी कुल असेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 24,383 करोड़ रुपये और कुल सम एश्योर्ड 78,847 करोड़ रुपये थी। कंपनी का दावा निस्तारण अनुपात 98.48 प्रतिशत है।
सार्वजनिक बीमा कंपनियों के निजीकरण को जीआईबीएनए में संशोधनों पर काम कर रही है सरकार
सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों के निजीकरण के लिए सरकार साधारण बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) कानून (जीआईबीएनए) में संशोधनों पर काम कर रही है। इस बारे में एक विधेयक संसद के आगामी मानसून सत्र में लाया जा सकता है। संसद का मानसून 19 जुलाई से शुरू होने की उम्मीद है। यह कानून 1972 में अस्तित्व में आया था। इसके तहत भारतीय बीमा कंपनियों और अन्य मौजूदा बीमा कंपनियों के उपक्रमों के शेयरों का अधिग्रहण और स्थानांतरण किया जा सकता है, जिससे साधारण बीमा कारोबार के विकास के जरिये अर्थव्यवस्था की जरूरत को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सके।
सूत्रों ने कहा कि जीआईबीएनए में संशोधनों पर काम चल रहा है। साधारण बीमा कंपनियों के निजीकरण में मदद के लिए इन्हें संसद के आगामी सत्र में रखा जा सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों तथा एक साधारण बीमा कंपनी के निजीकरण की घोषणा की थी। वित्तीय क्षेत्र के निए विनिवेश रणनीति के तहत सरकार ने जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का विशाल आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने तथा आईडीबीआई बैंक में शेष हिस्सेदारी की बिक्री का फैसला किया है। सरकार ने 2021-22 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों तथा वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बिक्री से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
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