मुंबई। ईटीएफ में जोरदार निवेश और अनिश्चित वित्तीय स्थिति के मद्देनजर सोने की मांग इस साल पहली तिमाही के दौरान 21 फीसदी बढ़कर 1,290 टन हो गई। यह बात वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की रिपोर्ट में कही गई। डब्ल्यूजीसी की गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स रिपोर्ट में कहा गया, यह बढ़ोतरी नाजुक आर्थिक स्थिति और वित्तीय स्थिति में अनिश्चितता के संबंध में निवेशकों की चिंता से प्रेरित रही।
रिपोर्ट के मुताबिक, सोने की मांग 2016 की पहली तिमाही के दौरान 21 फीसदी बढ़कर 1,290 टन हो गई जो 2015 की इसी तिमाही में 1,070 टन थी। समीक्षाधीन अवधि में ईटीएफ में कुल 364 टन सोना का निवेश हुआ जबकि जनवरी-मार्च 2015 की तिमाही में यह 26 टन था। रिपोर्ट में कहा गया कि निवेशकों ने यूरोप तथा जापान में नकारात्मक ब्याज दर के माहौल और चीन की अर्थव्यवस्था के बारे में अनिश्चितता, अमेरिका में धीमे-धीमे ब्याज में बढ़ोतरी उम्मीद और अमेरिका तथा वैश्विक शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव के कारण मुख्य तौर पर जोखिम से बचाव के लिए सोने में निवेश किया।
डब्ल्यूजीसी के मुताबिक कुल मिलाकर निवेश मांग 122 फीसदी बढ़कर 618 टन हो गई जो पिछले साल की इसी अवधि में 278 टन थी। इससे सोने का मूल्य डॉलर के लिहाज से 17 फीसदी बढ़ा। जेवरात खंड में हालांकि ज्यादा निवेश नहीं दिखा और मुख्य तौर पर भारत तथा चीन के बाजार के नेतृत्व में इसमें 19 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट में कहा गया कि केंद्रीय बैंक लगातार 21वीं तिमाही में सबसे बड़े खरीदार रहे और उन्होंने 109 टन सोना खरीदा हालांकि 2015 की पहली तिमाही में हुई 112 टन की खरीद के मुकाबले में इसमें थोड़ी गिरावट दर्ज हुई। इस साल पहली तिमाही के दौरान सोने की कुल सप्लाई पांच फीसदी बढ़कर 1,135 टन हो गई जो पिछले साल की इसी अवधि में 1,081 टन थी। डब्ल्यूजीसी के बाजार सूचना प्रमुख एलिस्टेयर हेविट ने कहा कि रिणात्मक ब्याज दर से पैदा अनिश्चितता के बीच सोने की मांग बढ़ी और इस तिमाही में इसकी कीमत में 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।