नई दिल्ली। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सरकारी गोल्ड बांड की पहली खेप की बिक्री 16 अप्रैल से शुरू करने की घोषणा की है। इसमें निवेशकों को 2.5 प्रतिशत सालाना ब्याज दिया जाएगा। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरकारी गोल्ड बांड 2018-19 की श्रेणी-1 को बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, अधिकृत डाकघरों और अधिकृत शेयर बाजारों जैसे बंबई शेयर बाजार एवं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के जरिये बेचा जाएगा।
मंत्रालय के अनुसार बांड के लिए बोली 16 से 20 अप्रैल तक स्वीकार की जाएंगी, जबकि पात्र निवेशकों को बांड प्रमाण पत्र 04 मई 2018 को जारी किए जाएंगे। निवेशकों को ब्याज का भुगतान छमाही आधार पर किया जाएगा। सॉवरेट गोल्ड बांड, गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम और इंडियन गोल्ड कॉइन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2015 के अंत में लॉन्च किया गया था। इन तीनों योजनाओं के पीछे सरकार का उद्देश्य सोने के आयात को कम करना और इससे व्यापार संतुलन को बेहतर बनाना है।
हालांकि गोल्ड स्कीम अभी भी सफलता से दूर है। सरकार ने 2016-17 में तीना योजनाओं से 10,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन सरकार केवल 3,451 करोड़ रुपए ही जुटा सकी। गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम की तुलना में गोल्ड बांड स्कीम अधिक लोकप्रिय है। सरकार गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में अभी तक केवल 15-20 टन सोना ही जुटा पाई है। इसलिए सरकार गोल्ड बांड स्कीम पर ज्यादा ध्यान दे रही है।
हालांकि ब्याज पर टैक्स देना होता है, लेकिन गोल्ड बांड के निवेशकों को मिलने वाले ब्याज पर टैक्स से छूट दी गई है। गोल्ड बांड स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड किए जा सकते हैं। बांड की अवधि 8 साल की होगी, लेकिन इससे बाहर निकलने का विकल्प 5वें साल से उपलब्ध होगा। वित्त मंत्रालय ने बताया कि बांड की कीमत बाजार मूल्य से 50 रुपए प्रति ग्राम कम होगी। एक वित्त वर्ष में एक व्यक्ति या हिंदु अविभाजित परिवार कम से कम एक ग्राम गोल्ड और अधिक से अधिक 4किलोग्राम गोल्ड बांड खरीद सकता है। बांड के लिए भुगतान नकद (अधिकतम 20,000 रुपए तक) या डिमांड ड्राफ्ट या चेक या इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के जरिये किया जा सकता है।