नई दिल्ली। वैश्विक स्तर पर रक्षा खर्च 2017 में बढ़कर 1,739 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। भारत और चीन दुनिया में सैन्य खर्च वाले पांच अग्रणी देशों में शामिल हैं और वैश्विक स्तर पर रक्षा खर्च का 60 प्रतिशत इन पांच देशों द्वारा ही किया जा रहा है।
स्वीडन की हथियारों की निगरानी करने वाली स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। एसआईपीआरआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो दशक से सैन्य खर्च लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2017 में रक्षा खर्च में अग्रणी पांच देशों में अमेरिका, चीन, सऊदी अरब, रूस और भारत शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में वैश्विक स्तर पर रक्षा खर्च 2016 की तुलना में 1.1 प्रतिशत बढ़कर 1,739 अरब डॉलर पर पहुंच गया। एसआईपीआरआई के संचालन बोर्ड के प्रमुख जैन इलियासन ने कहा कि दुनिया भर में रक्षा खर्च में लगातार हो रही बढ़ोतरी चिंता की बात है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन का सैन्य खर्च अनुमानत: 228 अरब डॉलर है, जो एशिया और ओशियाना क्षेत्र में कुल रक्षा खर्च का 48 प्रतिशत बैठता है। यह क्षेत्र में खर्च में दूसरे नंबर पर रहे भारत से 3.6 गुना अधिक है। 2017 में भारत का रक्षा खर्च 63.9 अरब डॉलर रहा, जो 2016 की तुलना में 5.5 प्रतिशत अधिक है। यह 2008 से 45 प्रतिशत ज्यादा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव की वजह से भारत सरकार अपने सैन्य बलों का विस्तार, आधुनिकीकरण और परिचालन क्षमता को बढ़ाना चाहती है।
अमेरिका का सैन्य खर्च 2017 में 610 अरब डॉलर रहा है और इस मामले में वह सबसे आगे है। यह दुनिया के कुल सैन्य खर्च का एक तिहाई से अधिक बैठता है। अमेरिका का सैन्य खर्च दुनिया में दूसरे नंबर पर रहे चीन की तुलना में 2.7 गुना अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका का सैन्य खर्च 2016 और 2017 के दौरान बदला नहीं है। वहीं दूसरी ओर रूस का रक्षा खर्च 1998 के बाद पहली बार घटा है। 2017 में रूस का रक्षा खर्च 66.3 अरब डॉलर रहा है, जो 2016 की तुलना में 20 प्रतिशत कम है।