नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2020 में 5.2 प्रतिशL की गिरावट आने की आशंका है और दुनिया के लगभग सभी देशों की आर्थिक संभावनाएं धुंधली दिख रही हैं। डन एंड ब्रॉडस्ट्रीट द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई है। ‘देशों के जोखिम और वैश्विक परिदृश्य रिपोर्ट’ में कहा गया है कि व्यापक वैश्विक परिदृश्य धुंधला है और वैश्विक अर्थव्यवस्था 2022 से पहले कोविड-19 के पहले के स्तर पर नहीं आएगी। इस रिपोर्ट में 132 देशों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘डन एंड ब्रॉडस्ट्रीट का अनुमान है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2020 में 5.2 प्रतिशत की गिरावट आएगी। यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी गिरावट है और 2009 में 1.9 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले कहीं अधिक बड़ी गिरावट है।’’
एशिया प्रशांत क्षेत्र 2020 के समाप्त होने से पहले आर्थिक प्रभाव से बाहर आने की संभावना कम है। डन एंड ब्रॉडस्ट्रीट के मुख्य अर्थशस्त्री अरूण सिंह ने कहा, ‘‘ कई देश लॉकडाउन में ढील दे रहे हैं। लेकिन विकास और गिरावट की और अलग-अलग तस्वीर सामने आयी हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भीषण मंदी का आश्ंका बनी हुई है और हमारा अनुमान है कि विश्व अर्थव्यवस्था 2022 से पहले महामारी के पूर्व स्तर पर नहीं लौटेगी।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में अगर कोई रिकवरी होती है, तो इस पर कई कारकों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसमें सबसे पहले ‘लॉकडाउन’ में ढील के बावजूद सामाजिक दूरी का पालन और बड़ी संख्या में बेरोजगारी तथा गरीबी शामिल हैं। सिंह ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में गिरावट आने का अनुमान है। यह चार दशक लगातार वृद्धि के बाद पहला मौका होगा, जब भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट दर्ज की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘मार्च में हमने भारत की रेटिंग डीबी4डी से कम कर डीबी5सी की। अर्थव्यवस्था के नीचे जाने और जोखिम का स्तर 1994 के बाद सबसे ऊंचा होने के आधार पर यह किया गया।’’ डीबी5 का मतलब है कि उच्च जोखिम और रिटर्न पर उल्लेखनीय रूप से अनिश्चितता।