नई दिल्ली। कोरोना संकट भले ही आज इंसानों के लिए एक कहर बना हुआ है, हालांकि दूसरी तरफ ये पर्यावरण के लिए सही समय पर एक बड़ी राहत लेकर भी आया है। दुनिया भर की इंडस्ट्री पर रोक लगने से हवा और पानी की गुणवत्ता बेहतर हुई है। वहीं अब एक रिसर्च में अनुमान दिया गया है कि लॉकडाउन की वजह से दुनिया भर के कार्बन उत्सर्जन में 7 फीसदी तक गिरावट दर्ज हो सकती है।
ये रिसर्च यूरोप, अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों के एक समूह ने की है जो हाल ही मे प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट 69 देशों, अमेरिका के 50 राज्य, चीन के 30 राज्य और 6 आर्थिक क्षेत्र से मिले दैनिक आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है। रिसर्च के मुताबिक साल 2019 में दुनिया भर में रोजान 10 करोड़ टन के बराबर कार्बन का उत्सर्जन हुआ था। हालांकि अप्रैल 2020 की शुरुआत में कार्बन उत्सर्जन में 17 फीसदी तक गिरावट देखने को मिली। रिसर्च के मुताबिक दुनिया के कई हिस्सों में ये गिरावट 26 फीसदी तक थी। रिसर्च का अनुमान है कि अगर जून के अंत तक दुनिया भर में कारोबारी गतिविधियां महामारी से पहले के स्तर पर वापस पहुंच जाती हैं तो भी कार्बन उत्सर्जन में 4 फीसदी की गिरावट संभव हैं। वहीं अगर प्रतिबंध साल के अंत तक जारी रहते हैं और कारोबारी गतिविधियां महामारी से पहले के स्तर से कम ही रहती हैं तो उत्सर्जन में 7 फीसदी कि रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिल सकती है।
रिसर्च के मुताबिक अगर ऐसा होता है तो उत्सर्जन में गिरावट की दर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल में एविएशन सेक्टर से होने वाला उत्सर्जन 75 फीसदी, सड़कों पर चलने वाले वाहनों से उत्सर्जन 50 फीसदी और ऊर्जा उत्पादन से होने वाला उत्सर्जन 5 फीसदी घटा है।