हैदराबाद। दिग्गज कारोबारी किरण मजूमदार-शॉ का कहना है कि संकट में घिरे व्यवसाई Vijay Mallya को बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने से जुड़े मामले को निपटाने के लिए एक उचित अवसर दिया जाना चाहिए। मीडिया ट्रायल से उनके खिलाफ मामलों को सुलझाने में मदद नहीं मिलेगी। शॉ ने कहा कि दिवाला कानून की कमी के चलते देश में कर्ज और वित्तीय विवादों के निपटान में लंबा समय लगता है। माल्या खुद स्पष्ट कर चुके हैं कि वह कर्ज चूक मामले का निपटान करना चाहते हैं और इसलिए उन्हें यह करने के लिए एक उचित अवसर दिए जाने की जरूरत है।
माल्या भारत वापस लौटेंगे: शॉ
मजूमदार-शॉ ने कहा कि Vijay Mallya भारत जरुर लौटेंगे। कर्ज वसूली न्यायाधिकरण में पिछले कुछ सालों से लंबित मामले की ओर इशारा करते हुए बायोकॉन की चेयरपर्सन व प्रबंध निदेशक मजूमदार-शॉ ने कहा, यह (निपटान) रातों..रात नहीं हो जाता और मीडिया में माल्या पर बकाए का तुरंत भुगतान करने के लिए दबाव डालने से चीजें आसान नहीं होंगी। उन्होंने कहा, मीडिया में आज हर किसी मामले की अपनी तरह से जांच पड़ताल करता है और रख अपनाता है, चाहे वह कर्ज की वसूली करने वाले बैंक हों, उसके कर्जदार हों, सरकार हो। हर किसी का मीडिया ट्रायल हो रहा है। एक-एक पाई की तत्काल वसूली अवास्तविक है। ऐसे में तय प्रक्रिया को अपनाने में मुश्किलें आड़े आती हैं।
दिवाला एवं शोधन अक्षमता कानून से इंडस्ट्री को मिलेगी मदद
मजूमदार-शॉ ने कहा कि देश में ऐसी कई कंपनियां हैं जिन पर भारी कर्ज है। फिर भी उन्हें चूक कर्ता घोषित नहीं किया गया है। प्रस्तावित दिवाला एवं शोधन अक्षमता कानून से निश्चित तौर पर एनपीए के मुद्दे से निपटने में मदद मिलेगी। जाने माने उद्योगपति राहुल बजाज भी इससे पहले कह चुके हैं कि कर्ज नहीं चुकाने के जहां कहीं भी न्यायोचित कारण हैं उन मामलों में करवाई नहीं की जानी चाहिये। लेकिन जहां जानबूझकर कर्ज नहीं चुका गया और कर्ज राशि को दूसरे काम में लगा दिया गया, उनमें करवाई होनी चाहिये। चोरी करने वालों को पकड़ने से देश का नुकसान नहीं होगा। मजूमदार शॉ ने कहा कि दिवाला कानून संसद से पारित होने से एनपीए से जुड़े मामलों से निपटने में मदद मिलेगी।