नई दिल्ली। कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है। बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने पेमेंट ऑफ वेजेस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। जिसके चलते कर्मचारियों को अब कैश सैलरी नहीं मिलेगी। अगर सूत्रों की माने तो 10 से ज्यादा कर्मचारी वाले संस्थानों को अब चेक या सीधे अकाउंट में सैलरी जमा करवानी होगी।
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बुधवार को कैबिनेट ने लिया फैसला
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला लिया गया है।
- सरकार का ये फैसला 10 से अधिक कर्मचारी वाली कंपनियों पर लागू होगा।
- कंपनियों को अपने यहां काम करने वाले सभी कर्मचारियों को या तो उनके खाते या फिर चेक के माध्यम से तनख्वाह देनी पड़ेगी।
- इस अध्यादेश पर मुहर लगने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
- राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करते ही यह अध्यादेश नियम के रूप में लागू हो जााएगा।
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लोकसभा में पेश हो चुका है बिल
- वेतन संबंधित यह बिल 15 दिसंबर 2016 को लोकसभा में पेश हो चुका है।
- लेबर मिनिस्टर बंडारू दत्तात्रेय ने इस बिल को लोकसभा में पेश किया था।
- बिल में कहा गया है कि नई प्रोसेस से डिजिटल और कम कैश वाली इकोनॉमी का मकसद पूरा होगा।
सरकार नहीं चाहती 2 महीने का इंतजार
- यह बिल अगले साल बजट सेशन में पास हो सकता है। ऐसे में सरकार 2 महीने इंतजार करने के बजाय इस पर ऑर्डिनेंस (अध्यादेश) लाई है। बाद में इसे पार्लियामेंट में पास कराया जाएगा।
- आपको बता दें कि अगर नए कानून को तुरंत लागू करना चाहे तो उसे ऑर्डिनेंस लाना होता है।
- यह ऑर्डिनेंस 6 महीने के लिए ही लागू होता है। इस दौरान सरकार को इसे संसद में पास कराना होता है।
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