नई दिल्ली। देश का रत्न और जेवरात का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में 11.7 फीसदी बढ़कर 11.4 अरब डॉलर हो गया, जो अमेरिका जैसे भारत के प्रमुख बाजारों में मांग बढ़ने से प्रेरित रहा।
रत्न एवं जेवरात निर्यात संवर्द्धन परिषद (जीजेईपीसी) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई की अवधि में इस क्षेत्र से 10.21 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था। देश के कुल निर्यात में रत्न एवं जेवरात का करीब 14 फीसदी योगदान है। अप्रैल-जुलाई में निर्यात में बढ़ोतरी मुख्य तौर पर तराशे एवं पॉलिश किए गए हीरों के निर्यात की मदद से हुआ। समीक्षाधीन अवधि में तराशे हीरे का निर्यात बढ़कर 7.25 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल की इसी अवधि में 6.89 अरब डॉलर था।
सोने पर आयात शुल्क घटाने की मांग
चालू वित्त वर्ष की समीक्षाधीन अवधि में चांदी के जेवरात का निर्यात 51 फीसदी बढ़कर 1.30 अरब डॉलर हो गया। एक अधिकारी ने कहा, अमेरिका जैसे बाजारों में मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे इस क्षेत्र में निर्यात में वृद्धि में मदद मिल रही है। अप्रैल से जुलाई 2016 की अवधि में सोने के जेवरात का निर्यात हालांकि 25.13 फीसदी घटकर एक अरब डॉलर रह गया, जो पिछले साल की इसी अवधि में 1.36 अरब डॉलर था।
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सोने के सिक्कों और मेडेलियन का निर्यात भी 9.51 फीसदी घटकर 1.48 अरब डॉलर रह गया। सरकार को उम्मीद है कि तीन फीसदी ब्याज सब्सिडी और शुल्क वापसी की दर बढ़ाने से निर्यात में गिरावट रोकने में मदद मिलेगी। जीजेईपीसी के आंकड़ों मुताबिक अप्रैल-जुलाई 2016 के दौरान कच्चे हीरे का आयात 13.27 फीसदी बढ़कर छह अरब डॉलर हो गया। इधर सोने की छड़ों का आयात भी करीब 40 फीसदी बढ़कर 1.72 अरब डॉलर हो गया।