नई दिल्ली। वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि भारत के रत्न और आभूषण उद्योग का विदेशी मुद्रा हासिल करने में महत्वपूर्ण योगदान है और सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इसे संभावनाओं से भरे क्षेत्र के रूप में देख रही है। उन्होंने कहा, ‘‘यही वजह है कि सरकार ने इस क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी है। आज, देश हर साल 35 अरब अमेरीकी डॉलर के रत्न और आभूषणों का निर्यात करता है और दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में एक है और अमेरिका, हांगकांग, चीन, मध्य पूर्व, रूस जैसे शीर्ष बाजारों की मांग को पूरा करता है।’’
उन्होंने रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) द्वारा आयोजित पांच दिवसीय ई-आईजीजेएस (अंतरराष्ट्रीय रत्न और आभूषण प्रदर्शनी) के उद्घाटन समारोह में कहा कि इस व्यापार मेले का आयोजन सही वक्त पर हो रहा है, क्योंकि कोविड-19 की वैक्सीन आने के साथ ही सभी प्रमुख बाजारों में रत्न और आभूषणों की मांग एक बार फिर बढ़ने लगी है। जीजेईपीसी के चेयरमैन कॉलिन शाह ने कहा कि भारत पन्ना और मॉर्गेनाइट के बड़े विनिर्माण स्थल के रूप में उभरा है, और जीजेईपीसी ने पिछले कुछ वर्षों में चांदी की भारी मांग भी देखी है। उन्होंने कहा कि परिषद ने अगले कुछ वर्षों में रत्न और आभूषणों के निर्यात को 35 अरब डॉलर से बढ़ाकर 75 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य तय किया है।
इससे पहले रत्न एवं आभूषण उद्योग ने आगामी केंद्रीय बजट में सोने पर सीमा शुल्क को घटाकर चार प्रतिशत करने, स्रोत पर एकत्र किए गए कर (टीसीएस) को वापस लिए जाने, पॉलिश किए हुए बहुमूल्य एवं अर्ध-मूल्यवान रत्नों पर आयात शुल्क में कटौती किए जाने की मांग की है। अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू रत्न एवं आभूषण परिषद (जीजेसी) ने सरकार से सोने पर सीमा शुल्क को मौजूदा 12.5 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत करने का भी मांग की है।