नई दिल्ली। रेटिंग एजेंसी इकरा ने बुधवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 20 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है लेकिन इस वृद्धि के बावजूद यह कोविड-19 से पहले के स्तर की तुलना में काफी कम रहेगी। इकरा ने कहा कि इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में जीडीपी 24 प्रतिशत तक सिकुड़ गई थी, जिससे तुलना के कारण कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव इस तिमाही में कम दिख रहा है।
एजेंसी ने कहा कि सरकार की तरफ से मजबूत पूंजीगत व्यय, व्यापारिक निर्यात और कृषि क्षेत्र में मांग से आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिला है। इसी के कारण 30 जून 2021 को समाप्त तिमाही में जीडीपी के 20 प्रतिशत और सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में 17 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। इकरा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘पिछले वर्ष के निम्न आंकड़ों से तुलना के कारण इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में दहाई अंक की वृद्धि काफी ऊंची रहने का अनुमान है। वहीं, हमारा अनुमान है कि कोविड से पहले यानी वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही की तुलना में इस बार जीडीपी और जीवीए में 9 प्रतिशत की गिरावट रहेगी।’’ वही भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समीक्षाधीन तिमाही के लिए इस महीने फिर से जारी अनुमान में जीडीपी में 21.4 प्रतिशत बढ़त की उम्मीद जताई गई है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय से पहली तिमाही के आर्थिक गतिविधियों पर आधिकारिक आंकड़े इस महीने के अंत तक आने की उम्मीद है।
वहीं आरबीआई ने जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में 2021-22 के लिए वृद्धि अनुमान को 10.5 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया था। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 21.4 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.3 प्रतिशत और जनवरी-मार्च तिमाही में 6.1 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान दिया है। वहीं अगले वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल-जून में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 17.2 प्रतिशत रहने की संभावना है।
यह भी पढ़ें: आईपीओ की कतार हुई लंबी, इन कंपनियों ने भी दी सेबी को एप्लीकेशन