नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में औद्योगिक वृद्धि होने के बावजूद रोजगार न बढने की समस्या का समाधान करने के लिये गांधीवादी विकेंद्रीकृत और विविधीकृत नवप्रवर्तन पर आधारित उपक्रमों का मॉडल संभवत: अधिक अच्छा रास्ता है।
राष्ट्रपति ने जमीनी स्तर से जुड़े नवप्रवर्तन के लिए राजधानी में आयोजित एक पुरस्कार वितरण समारोह में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर बनी हुई है। यहां तक कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भी औद्योगिक वृद्धि अधिकाधिक रोजगार विहीन वृद्धि बनती जा रही है।
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- राष्ट्रपति ने नौवें द्विवार्षिक ग्रासरूट इनोवेशन अवार्ड समारोह में कहा, ऐसे परिदृश्य में विकेंद्रित, विविधीकृत और विविध नवप्रवर्तन आधारित उद्यम संभवत: समस्या के इस समाधान का बेहतर तरीका है।
- उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी हमेशा चाहते थे कि आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सामुदायिक ग्यान एवं सामुदायिक संस्थाओं के साथ तालमेल बिठाया जाए।
- मौजूदा परिदृश्य में उनका यह संदेश अत्यंत प्रासंगिक हो गया है।
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- मुखर्जी ने कहा कि पिछले डेढ़ दशक में राष्ट्रीय नवप्रवर्तन फाउंडेशन ने अधारणा एवं नीतियों के संदर्भ में कई उल्लखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं।
- उन्होंने कहा कि मैं बच्चों, स्कूल और कॉलेज छात्रों की सृजशीलता और जमीन से जुड़े नवप्रवर्तकों का गवाह बना हूं।
- हालांकि, एक समावेश नवप्रवर्तन का माहौल जो भारत के लिये उपयुक्त हो, उसके लिए सरकार और समाज ने जो कदम उठाए हैं, उससे कहीं अधिक पहल करने की आवश्यकता है।