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एक अप्रैल 2017 से लागू होगा गार, विदेशों से निवेश पर टैक्‍स की व्यवस्था होगी और पुख्ता

सरकार ने गार एक अप्रैल 2017 से लागू करने से पहले कहा कि वह कंपनियों के लेन-देन के लिए अपने तरीके अपनाने के अधिकारों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेगी।

Abhishek Shrivastava
Published on: January 27, 2017 19:40 IST
एक अप्रैल 2017 से लागू होगा गार, विदेशों से निवेश पर टैक्‍स की व्यवस्था होगी और पुख्ता- India TV Paisa
एक अप्रैल 2017 से लागू होगा गार, विदेशों से निवेश पर टैक्‍स की व्यवस्था होगी और पुख्ता

नई दिल्ली। सरकार ने सामान्य टैक्‍स परिवर्जन नियम (गार) एक अप्रैल 2017 से लागू करने से पहले निवेशकों की चिंताओं को दूर करते हुए आज कहा कि वह कंपनियों के लेन-देन के लिए अपने तरीके अपनाने के अधिकारों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेगी।

सरकार ने यह भी कहा कि यदि निवेश को किसी अन्य देश से लाने के पीछे मंशा केवल वाणिज्यिक है और इसका उद्येश्य भारत में टैक्‍स से बचना नहीं है तो उस पर गार लागू नहीं होगा।

  • गार का उद्देश्य कंपनियों को केवल टैक्‍स भुगतान से बचने के लिए सौदे के दूसरे देशों के रास्ते करने से रोकना है।
  • अनेक कंपनियां टैक्‍स भुगतान से बचने के लिए दूसरे देशों के जरिये सौदे करती हैं।
  • गार को दो स्तरीय प्रक्रिया के जरिये अमल में लाया जा सकता है।
  • पहला आयकर के प्रधान आयुक्त के स्तर पर और दूसरा उच्च न्यायालय के न्यायधीश की अगुवाई वाली समिति के जरिये।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने गार के बारे में निवेशकों की कुछ चिंताओं को दूर करते हुए कहा कि,

गार के प्रावधान निर्धारण वर्ष 2018-19 से प्रभावी होंगे और इन्हें मात्र इस आधार पर अमल में नहीं लाया जाएगा कि कोई इकाई कर सक्षम न्याययिक क्षेत्र में स्थित है।

सीबीडीटी ने एक वक्तव्य में कहा,

यदि गैर-कर वाणिज्यिक गतिविधि के लिहाज से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) का न्यायिक क्षेत्र तय हो जाता है, और यह साबित हो जाता है कि जो भी व्यवस्था की गई है उसके पीछे मकसद केवल कर लाभ लेना नहीं है तो गार लागू नहीं होगा।

  • गार करदाताओं के किसी लेनदेन को करने के तौर तरीकों का चुनाव करने के अधिकार को नहीं छेड़ेगा।
  • सीबीडीटी ने कहा है कि यदि कोई कर लाभ कर-संधियों के तहत उपलब्ध प्रावधानों के दायरे में लिया गया है तो उसमें भी गार लागू नहीं होगा।
  • एक अप्रैल 2017 से पहले परिवर्तनीय साधनों, बोनस जारी करने अथवा होल्डिंग के विभाजन अथवा एकीकरण जैसे मामलों में मिलने वाला लाभ आगे भी जारी रहेगा।
  • विभिन्न देशों के साथ कर संधियों में टैक्‍स चोरी रोकने के नियमों को शामिल करना ही काफी नहीं होगा बल्कि इन पर घरेलू टैक्‍स परिवर्जन नियमों के जरिये नजर रखने की भी आवश्यकता है।
  • यह भी स्पष्ट किया है कि गार के तहत कोई भी जुर्माना यदि लगाया जाता है तो वह मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए होगा।
  • वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015 के बजट में गार के क्रियान्वयन को दो साल के लिए टाल दिया था।
  • उन्होंने यह भी कहा था कि 31 मार्च 2017 तक किए गए निवेश को गार के तहत नहीं लाया जाएगा।
  • गार तीन करोड़ रुपए से अधिक के कर लाभ वाले दावों पर ही लागू होगा।

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