मुंबई। बैंक कर्ज वृद्धि में लगातार दूसरे साल गिरावट आयी है और यह न्यूनतम स्तर पर पहुंच गयी है। इसमें वित्त वर्ष 2020-21 में मात्र 5.56 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो 59 साल का न्यूनतम स्तर है। यह स्थिति तब है जब सरकार कोविड-19 के प्रभाव से निपटने के लिये आसान कर्ज व्यवस्था के जरिये प्रोत्साहन दे रही है। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में यह कहा गया है।
वित्त वर्ष 2020-21 में कुल कर्ज उठाव 109.51 लाख करोड़ रुपये रहा। कर्ज वृद्धि 2019-20 के मुकाबले कम है। उस समय कर्ज में 6.14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी और वह 58 साल का न्यूनतम स्तर था। इससे पहले वित्त वर्ष 1961-62 में कर्ज वृद्धि न्यूनतम 5.38 प्रतिशत थी। सरकार ने कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिये 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 11 प्रतिशत था।
इसमें से वास्तव में केवल करीब 3 लाख करोड़ रुपये का उपयोग राजकोषीय प्रोत्साहन के रूप में किया गया। शेष राशि कर्ज सहायता के रूप में थी जिसका सरकार के राजकोषीय आंकड़े पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। एसबीआई रिसर्च ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़े का हवाला देते हुए कहा कि हालांकि बैंकों में जमा 2020-21 में 11.4 प्रतिशत बढ़कर 151.13 लाख करोड़ रुपये रहा जो 2019-20 में 7.93 प्रतिशत था।
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2007-08 में कर्ज और जमा में अबतक की सबसे अच्छी वृद्धि दर्ज की गयी। उस समय जमा में जहां 22.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं कर्ज उठाव में 22.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी। अगले दो साल इसमें कमी आयी और यह 17 प्रतिशत के करीब रही। लेकिन 2010-11 में यह बढ़कर फिर से 21.5 प्रतिशत हो गयी। उसके बाद से कर्ज मांग लगातार कम हुई और 2019-20 में यह 58 साल के न्यूनतम स्तर तथा 2020-21 में 59 साल के न्यूनतम स्तर तक चली गयी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020-21 की पहली छमाही में कर्ज उठाव पर महामारी का प्रभाव पड़ा क्योंकि उस समय अर्थव्यवस्था बंद पड़ी थी। दूसरी छमाही में नवंबर के बाद कुछ वृद्धि दर्ज की गयी। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘लेकिन इसके बावजूद कर्ज में वृद्धि 2020-21 में केवल 5.56 प्रतिशत रही जो 59 साल का न्यूनतम स्तर है। वहीं 2019-20 में वृद्धि 6.14 प्रतिशत थी।’’ जमा में वृद्धि 2020-21 में 11.4 प्रतिशत रही जो 2019-20 में 7.93 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2019-20 में जमा 135.71 लाख करोड़ रुपये रही थी।