नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) को रिलायंस रिटेल के साथ विलय सौदे पर आगे बढ़ने से रोकने वाले सिंगापुर के आपातकालीन मध्यस्थ के फैसले को लागू करने के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय में चल रही सभी कार्रवाई पर चार सप्ताह के लिए रोक लगा दी। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने आम सहमति से दिए आदेश में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) और बाजार नियामक सेबी जैसे वैधानिक प्राधिकरणों को भी निर्देश दिया कि वे अगले चार सप्ताह विलय सौदे से संबंधित कोई अंतिम आदेश पारित न करें।
पीठ ने एफआरएल और फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी की दलीलों पर विचार किया कि मध्यस्थ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले में अंतिम फैसला सुरक्षित रखा है। विलय को चुनौती देने वाली अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि उसकी एफआरएल, एफसीपीएल और उनके निदेशकों के खिलाफ किसी दंडात्मक कार्रवाई में कोई दिलचस्पी नहीं है और उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में चल रही कार्रवाई पर रोक लगाने के आदेश से सहमति जताई।
एफआरएल और एफसीपीएल ने 17 अगस्त के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष न्यायालय का रुख किया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि वह आपातकालीन मध्यस्थ के आदेश के अनुसार एफआरएल को सौदे के साथ आगे बढ़ने से रोकने वाले अपने एकल न्यायाधीश के पिछले आदेश को लागू करेगा। उच्च न्यायालय ने संपत्तियों को कुर्क करने का भी आदेश दिया था। अमेजन ने फ्यूचर समूह को पिछले साल अक्टूबर में सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एसआईएसी) में मध्यस्थता के लिए घसीटा था और तर्क दिया था कि एफआरएल ने उसके प्रतिद्वंद्वी रिलायंस के साथ सौदा करके उनके अनुबंध का उल्लंघन किया था।