नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को फ्यूचर समूह की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इसके साथ ही अदालत ने फ्यूचर को रिलायंस रिटेल के साथ 24,731 करोड़ रुपये के विलय सौदे पर आगे बढ़ने से रोकने वाले आपातकालीन फैसले (ईए) में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने अमेरिकी ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन से इस पर जवाब भी मांगा है।
अमेजन ने सिंगापुर मध्यस्थता न्यायाधिकरण के समक्ष विलय को चुनौती दी थी। फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) और फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) की अपीलों पर मामले की अगली सुनवाई चार जनवरी को होगी। एफआरएल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अदालत से यह स्पष्ट करने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित करने का आग्रह किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित पिछला आदेश (जिसने ईए को लागू किए जाने के संबंध में सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी थी) क्या विधिवत गठित मध्यस्थता न्यायाधिकरण के बाद में आए आदेश के बावजूद लागू रहेगा।
उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि अदालत स्पष्ट करे कि कौन सा आदेश प्रभावी होगा। वह (सुप्रीम कोर्ट का आदेश) एक सहमति आदेश था। यह आदेश आज लागू है। इसके बाद न्यायाधिकरण ने आदेश पारित किया। मैं जानना चाहता हूं कि अंतरिम आदेश कौन सा है? सुप्रीम कोर्ट का आदेश जारी रहेगा। मैं नहीं चाहता कि यह बताया जाए कि न्यायाधिकरण का आदेश लागू है।
एफसीपीएल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील पराग पी त्रिपाठी ने भी उच्च न्यायालय से उच्चतम न्यायालय के आदेश को दोहराने का आग्रह किया। अदालत ने कहा कि शीर्ष अदालत के समक्ष संबंधित अपीलों के लंबित होने के कारण नई अपीलों पर आगे बढ़ने के लिए उच्चतम न्यायालय से ‘‘मंजूरी’’ की जरूरत होगी।
उल्लेखनीय है कि फ्यूचर रिटेल और उसके प्रवर्तकों ने सिंगापुर के मध्यस्थता न्यायाधिकरण एसआईएसी द्वारा रिलायंस रिटेल के साथ उसके 24,713 करोड़ रुपये के सौदे पर रोक लगाने संबंधी आदेश पर स्थगन और उसे निरस्त करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एसआईएसी) ने 21 अक्टूबर को फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें रिलायंस के साथ सौदे पर पिछले साल 25 अक्टूबर को एसआईएसी के आपात मध्यस्थ (इमरजेंसी आर्बिट्रेटर) द्वारा लगाई गई अंतरिम रोक को हटाने की मांग की गई थी।
इससे पहले इस महीने एसआईएसी ने अपने एक फैसले में यह भी कहा था कि रिलायंस रिटेल के फ्यूचर ग्रुप की संपत्तियों की बिक्री से जुड़े विवाद में अमेजन और फ्यूचर ग्रुप के बीच चल रही मध्यस्थता में फ्यूचर रिटेल एक पक्ष है। फ्यूचर ने एसआईएसी के समक्ष तर्क दिया था कि उसे मध्यस्थता की कार्यवाही से बाहर रखा जाना चाहिए क्योंकि वह अपने प्रवर्तक फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) और अमेजन के बीच विवाद का पक्ष नहीं है।
गौरतलब है कि फ्यूचर द्वारा रिलायंस इंडस्ट्रीज की खुदरा शाखा को उसके खुदरा, थोक, रसद और वेयरहाउसिंग संपत्तियों की 24,713 करोड़ रुपये की बिक्री को रोकने की कोशिश कर रहे अमेजन ने आरोप लगाया है कि रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (आरआरवीएल) और फ्यूचर के बीच यह सौदा, 2019 में किशोर बियानी के नेतृत्व वाली कंपनी के साथ हुए उसके खुद के सौदे का उल्लंघन करता है।
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