नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि सस्ते और मध्यम आय वर्ग के लोगों वाली परियोजनाओं के लिए कर्ज की विशेष सुविधा (एसडब्ल्यूएएमआईएच) से उन 1.16 लाख मकान खरीदरों को लाभ होगा, जिनकी आवास परियोजनाएं अंतिम चरण में कर्ज के अभाव में अटकी पड़ी हैं। इस कोष के जरिये पहली आवासीय परियोजना पूरी होने के मौके पर उन्होंने यह बात कही। देश में कई रियल एस्टेट परियोजनाएं कोष की कमी के कारण अटकी पड़ी हैं। इस मुद्दे के समाधान के लिए सरकार ने नवंबर 2019 में 25,000 करोड़ रुपये के एसडब्ल्यूएएमआईएच कोष की घोषणा की। इस पहल का मकसद 4.58 लाख आवासीय इकाई वाली अटकी पड़ी 1,500 से अधिक आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने में मदद करना है।
सीतारमण ने कहा कि 2019 रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए कठिन वर्ष था और उद्योग नकदी संकट से जूझ रहा था जबकि बैंक फंसे कर्ज के दबाव में उन्हें ऋण देने से बच रहे थे। उन्होंने कहा कि कई परियोजनाएं पूरी होने के करीब थी लेकिन अंतिम चरण के वित्त पोषण के अभाव में अटकी पड़ी थी। सीतारमण ने ऑनलाइन आयोजित कार्यक्रम में मुंबई के रिवाली पार्क के 600 से अधिक मकान खरीदारों को घर की चाबियां देते हुए कहा कि सरकारी विभागों और एसबीआई कैपिटल ने कोविड-19 संकट के बावजूद योजनाओं को पूरा करने के लिए अथक कार्य किए और आवास ऋण ले रखे खरीदारों को फ्लैट सौंप रहे हैं। यह पहली अटकी परियोजना है, जो एसडब्ल्यूएएमआईएच कोष के जरिये पूरी हुई है।
कोष का प्रबंधन एसबीआई कैपिटल के जिम्मे था जबकि वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाला आर्थिक मामलों का विभाग योजना के लिए प्रशासक की भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि एसडब्ल्यूएएमआईएच कोष के तहत आज 640 लोगों को मकान मिले। इस कोष से 1.16 लाख भारतीय परिवार को लाभ होगा। उन सभी को मकान मिलेंगे जो विभिन्न कारणों और बाधाओं से अटके पड़े हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि और यह सब महामारी के दौरान हो रहा है। इससे ज्यादा खुशी परिवारों को क्या मिल सकती है जो कई साल से अपना घर पाने का इंतजार कर रहे थे। कुल 44,115 इकाइयों से जुड़ी 72 परियोजनाओं को एसडब्ल्यूएएमआईएच कोष के तहत 6,995 करोड़ रुपये का वित्त पोषण मिला है। वहीं 11,581 करोड़ रुपये के निवेश से 132 परियोजनाओं को शुरूआती मंजूरी दी गई है। इन परियाजनाओं में मकानों की संख्या 72,457 इकाई है। इन अटकी पड़ी परियोजनाओं की कुल लागत 54,520 करोड़ रुपये है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार दबाव वाले सस्ते और मध्यम आय वाली आवास परियोजनाओं को वित्त पोषण की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कदम बढ़ाया। इससे मकान खरीदारों को राहत मिली जिन्होंने गाढ़ी मेहनत की कमाई अपने सपने के घरों में लगाई हुई थी। सीतारमण के अनुसार सरकार का मानना है कि ये मकान बनकर पूरा हो जाने के साथ फंसी हुई बड़ी पूंजी बाहर निकलेगी। साथ ही इससे निर्माण क्षेत्र में रोजगार मिलेगा एवं स्टील तथा सीमेंट जैसे संबद्ध क्षेत्रों को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा बैंकों तथा एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) को राहत मिलने के साथ आर्थिक धारणा बेहतर होगी।
इस मौके पर आवास और शहरी मामलों के विभाग के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि 2019-20 में क्षेत्र का अर्थव्यवस्था में 200 अरब डॉलर का योगदान था जो 2030 तक बढ़कर 1,000 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा कि बैंकों और भागीदारों के समक्ष रखी गई उम्मीदों को पूरा करने के लिए एसडब्ल्यूएएमआईएच कोष का प्रबंधन किया गया। केंद्र सरकार ने इस कोष में 10,000 करोड़ रुपये का योगदान दिया जबकि शेष राशि एलआईसी जैसे संस्थागत निवेशकों और देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई तथा निजी निवेशकों से आए।
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