नई दिल्ली। दूरसंचार कंपनियों के सकल समायोजित आय यानि एजीआर के बकाया के स्व-आकलन के सरकारी मूल्यांकन के काम में कम-से-कम छह महीने समय लग सकता है। दूरसंचार विभाग के एक सूत्र ने यह जानकारी दी। सूत्र के मुताबिक इस काम में कई साल के काफी दस्तावेजों को देखने की जरूरत होगी जिसमें वक्त लगेगा। सरकार ने पिछले सप्ताह भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया तथा अन्य दूरसंचार कंपनियों से उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार शेष एजीआर बकाया का भुगतान बिना किसी देरी के करने को कहा।
विभाग ने सभी दूरसंचार कंपनियों को पत्र लिखकर उनसे बिना विलम्ब के बची राशि का भुगतान करने को कहा है। साथ ही भुगतान का पूरा ब्योरा यानि स्व-आकलन की राशि का विश्लेषण देने को कहा। विभाग का कहना है कि सांविधिक एजीआर बकाये के समुचित मिलान के लिए यह जरूरी है। दूरसंचार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों के एजीआर बकाया के स्व-आकलन की गणना को पूरा करने में छह महीने का समय लग सकता है क्योंकि इसमें कई साल के बड़ी संख्या में दस्तावेजों की जांच करने की जरूरत होगी। अधिकारी ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने 2006-07 से 2014-15 के दौरान विस्तृत आडिट किया था।
पहले के सरकारी आकलन के अनुसार कुल 16 इकाइयों के ऊपर एजीआर के मद में सरकार का कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये बकाया है। इसमें 92,642 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क और 55,054 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क का है। अनुमानित बकाया में ब्याज और जुर्माना शामिल हैं। पूरी बकाया राशि में एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की हिस्सेदारी करीब 60 प्रतिशत है। संकट में घिरी वोडाफोन आइडिया लि.
ने छह मार्च को अपने ऊपर कुल 21,533 करोड़ रुपये बकाये का अनुमान जताया। यह दूरसंचार विभाग के अनुमान का आधा है। कंपनी ने अब तक 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया। दूरसंचार विभाग के हिसाब से कंपनी के ऊपर 53,000 करोड़ रुपये का बकाया है। इसी प्रकार, भारती एयरटेल ने दो किस्तों में 13,004 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। हालांकि सरकार के हिसाब से कंपनी के ऊपर 35,000 करोड़ रुपये का बकाया है। कंपनी ने तदर्थ रूप से 5,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है ताकि अगर मिलान में कोई अंतर हो तो उसकी भरपाई हो सके। टाटा टेलीसर्विसेज ने एजीआर बकाया मद में 2,197 करोड़ रुपये का भुगतान किया है और हाल ही में मिलान के अंतर को पूरा करने के लिये 2,000 करोड़ रुपये दिये। वहीं दूरसंचार विभाग के अनुसार कंपनी पर 14,000 करोड़ रुपये का बकाया है।