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वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने दिया आश्‍वासन, FRDI के तहत बैंकों में रखे जनता के पैसों पर कोई आंच नहीं आएगी

सरकार की ओर से प्रस्तावित कानून के एक मसौदे लेकर कुछ जमाकर्ताओं की चिंता को दूर करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने सोमवार को कहा कि सरकार वित्तीय संस्थानों में आम लोगों की जमा राशि की पूरी तरह रक्षा करेगी।

Edited by: Manish Mishra
Updated on: December 11, 2017 20:54 IST
Arun Jaitley- India TV Paisa
Arun Jaitley

नई दिल्ली। सरकार की ओर से प्रस्तावित कानून के एक मसौदे लेकर कुछ जमाकर्ताओं की चिंता को दूर करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि सरकार वित्तीय संस्थानों में आम लोगों की जमा राशि की पूरी तरह रक्षा करेगी। इसके साथ ही उन्होंने प्रस्तावित वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा (FRDI) विधेयक में बदलाव को लेकर खुला रुख अपनाने का संकेत दिया।

जेटली ने कहा कि बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपए डालने की सरकार की योजना का उद्देश्य बैंकों को मजबूत बनाना है और किसी बैंक के विफल होने का कोई सवाल नहीं है। अगर ऐसी कोई स्थिति आती भी है तो सरकार ग्राहकों की जमाओं की पूरी रक्षा करेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि इस बारे में सरकार का रुख पूरी तरह स्पष्ट है।

जेटली ने यह टिप्पणी वित्तीय समाधान व जमा बीमा (FRDI) विधेयक 2017 के एक प्रावधान को लेकर चिंताओं को दूर करने के प्रयास में दी है। इस विधेयक को इस साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था। यह इस समय संयुक्त संसदीय समिति के पास विचाराधीन है।

कुछ विशेषज्ञों ने विधेयक के मसौदे में वित्तीय संस्थानों के लिए संकट से उबने के लिए बेल-इन यानी आंतरिक संसाधनों का सहारा के प्रावधान को बचत खातों के रूप में ग्राहकों की जमाओं को संभावित नुकसान वाला करार दिया है। जेटली ने कहा कि यह विधेयक संसद की संयुक्त समिति के समक्ष है। समिति की जो भी सिफारिशें होंगी सरकार उन पर विचार करेगी।

उन्होंने कहा कि विधेयक के प्रावधानों को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं। मंत्री ने कहा कि सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है, कह चुकी है कि वह सार्वजनिक बैंकों व वित्तीय संस्थानों को मजबूत बनाने को प्रतिबद्ध है। सार्वजनिक बैंको को मजबूत बनाने के लिए उनमें 2.11 लाख करोड़ रुपये लगाए जा रहे हैं।

FRDI विधेयक में ऋणशोधन जैसी स्थिति में विभिन्न वित्तीय संस्थानों, बैंकों, बीमा कंपनियों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा स्टाक एक्सचेंज आदि की निगरानी का ढांचा तैयार करने का प्रस्ताव है।

मसौदा विधेयक में ‘रेजोल्यूशन कॉरपोरेशन’ का प्रस्ताव किया गया है जो कि प्र​क्रिया पर निगरानी रखेगा तथा बैंकों को दिवालिया होने से बचाएगा। वह यह काम ‘देनदानियों को बट्टे खाते में डालते हुए’ करेगा, इस मुआवजे की व्याख्या कुछ लोगों ने ‘बेल इन’ के रूप में की है।

मसौदा विधेयक में रेजोल्यूशन कारपोरेशन को ढह रहे बैंक की देनदारियों रद्द करने या देनदारी की प्रकृति में बदलाव का अधिकार होगा। इसमें जमा बीमा राशि का जिक्र नहीं है। फिल्हाल एक लाख रुपये तक की सारी जमाएं जमा बीमा व ऋण गारंटी कॉरपोरेशन कानून के तहत रक्षित हैं। विधेयक में इस कानून को समाप्त करने को कहा गया है।

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