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अगले तीन वित्‍त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत रखा जाए, FRBM समिति की सिफारिश

उच्चस्तरीय FRBM समिति ने मार्च 2020 तक तीन वित्तीय वर्षों के दौरान राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का तीन प्रतिशत रखने की सिफारिश की है।

Abhishek Shrivastava
Published on: April 12, 2017 21:10 IST
अगले तीन वित्‍त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत रखा जाए, FRBM समिति  की सिफारिश- India TV Paisa
अगले तीन वित्‍त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत रखा जाए, FRBM समिति की सिफारिश

नई दिल्‍ली। बजट प्रबंधन और राजकोषीय घाटे पर सुझाव देने के लिए गठित उच्चस्तरीय FRBM समिति ने मार्च 2020 तक तीन वित्तीय वर्षों के दौरान राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का तीन प्रतिशत रखने की सिफारिश की है। समिति ने सालाना लक्ष्य तय करने के लिए एक नई परिषद गठित करने का भी सुझाव दिया है।

समिति ने जीडीपी के मुकाबले कुल ऋण पर भी गौर करने का सुझाव दिया है। बहरहाल, समिति की सिफारिश के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत रहना चाहिए। लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 के बजट में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा है।

पूर्व राजस्व सचिव एनके सिंह की अध्यक्षता वाली राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन (FRBM ) समिति ने वर्ष 2023 तक केंद्र और राज्यों का कुल ऋण-जीडीपी अनुपात 60 प्रतिशत रहने का सुझाव दिया है। इसमें केंद्र सरकार का 40 प्रतिशत और राज्य सरकारों का 20 प्रतिशत हिस्सा रहने का सुझाव दिया गया है।

एफआरबीएम समिति की यह रिपोर्ट आज सार्वजनिक की गई। हालांकि, इसे बजट से पहले ही वित्त मंत्री को सौंप दिया गया था। इस साल के बजट में इसकी कई सिफारिशों को शामिल भी किया गया है। समिति ने 2017-18 से लेकर 2019-20 तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी के तीन प्रतिशत पर रखने और उसके बाद इसे धीरे-धीरे कम करके 2022-23 तक 2.5 प्रतिशत पर लाने की सिफारिश की है।

हालांकि, समिति ने कहा है कि खास परिस्थितियों में लक्ष्य से पीछे भी हटा जा सकता है लेकिन घाटा तय लक्ष्य के मुकाबले 0.5 प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ना चाहिए।  एफआरबीएम समिति ने एक तीन सदस्यीय वित्तीय परिषद बनाने की भी सिफारिश की है। उसने कहा है कि समिति कई सालों के लिए राजकोषीय अनुमान का खाका तैयार करेगी और साथ ही ऋण और वित्तीय निरंतरता के आंकड़ों का भी विश्लेषण करेगी।

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