नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में कटौती और अच्छे मानसून की उम्मीद में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अप्रैल महीने में अब तक भारतीय बाजार में एक अरब डॉलर का निवेश किया है। भारतीय बाजार में निवेश को लेकर विदेशी निवेशकों का रुख सकारात्मक बना हुआ है। पिछले महीने पूंजी बाजारों (इक्विटी एवं ऋण) में 19,967 करोड़ रुपए का अंतर्प्रवाह देखा गया था। इससे पहले, एफपीआई ने नवंबर से फरवरी के बीच में बाजार से 41,661 करोड़ रुपए निकाले थे, जबकि मार्च में उन्होंने शुद्ध रूप से इक्विटी की लिवाली की।
अब तक मौजूदा साल में एफपीआई ने इक्विटी में 8,515 करोड़ रुपए का निवेश किया है, जबकि ऋण बाजार से 2,810 करोड़ रुपए निकाले। परिणामस्वरूप बाजार में 5,705 करोड़ रुपए की पूंजी का शुद्ध प्रवाह हुआ। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि पांच अप्रैल को रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में की गई कटौती के कारण इस महीने पूंजी का अत्याधिक अंतर्प्रवाह हुआ। रिजर्व बैंक ने रेपो दर 0.25 फीसदी घटाकर 6.5 फीसदी कर दी है, जो पांच साल का निम्न स्तर है।
भारत, इंडोनेशिया जैसे उभरते बाजारों में बढ़ा विदेशी निवेश
भारत और इंडोनेशिया जैसे उभरते बाजारों में विदेशी निवेश बढ़ा है। एचएसबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक साप्ताहिक तौर पर भारत और इंडोनेशिया में यह अंतर्प्रवाह क्रमश: 31.3 करोड़ डॉलर (भारत) और 23.4 करोड़ डॉलर (इंडोनेशिया) रहा। इस रिपोर्ट के अनुसार इंडोनेशिया और भारत में अधिकतर विदेशी निवेश वहां के स्थानीय बांडों में बढ़ा है, जबकि कोरियाई सरकार के बांडों से लगातार दूसरे सप्ताह पूंजी निकासी देखी गई। इसमें बताया गया है कि कोरिया में 14 अप्रैल को हुए चुनाव के अंतिम परिणामों की वजह से सप्ताह के दौरान कोरिया के स्थानीय बांडों में विदेशी निवेश में हल्की गिरावट दर्ज की गई। इस बीच, जापान के खुदरा निवेशकों ने मार्च में अंतरराष्ट्रीय बांड में अपना निवेश बढ़ा।