नई दिल्ली। कम से कम 30 विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) अपने आप को कॉरपोरेट्स के रूप में रिस्ट्रक्चर करने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। अंग्रेजी बिजनेस अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बजट 2019-20 में अति धनाढ्य लोगों पर सरचार्ज में वृद्धि करने के प्रस्ताव के बाद कुछ एफपीआई अपने आप को ट्रस्ट और एसोसिएशन ऑफ पर्संस (एओपी) से कॉरपोरेट्स में बदलना चाहते हैं।
एक सूत्र ने बताया कि एफपीआई की ओर से हमें कई सवाल प्राप्त हुए हैं, वह हमसे पूछ रहे हैं कि क्या वह अधिक सरचार्ज से बचने के लिए कॉरपोरेट्स में अपने आप को परिवर्तित कर सकते हैं। सूत्र ने बताया कि अमेरिका के दो म्यूचुअल फंड हाउस और एक यूरोपियन हेज फंड ने इस विषय पर सलाह मांगी है।
आपको बता दें कि बुधवार को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को उनके कारोबार के वर्तमान ढ़ांचे के तहत बढ़े सरचार्ज से किसी तरह की राहत देने से इनकार किया है। सीबीडीटी के चेयरमैन पी सी मोदी ने बुधवार को कहा था कि विदेशी निवेशक यदि कम टैक्स का लाभ लेना चाहते हैं तो उनके पास खुद को कॉरपोरेट इकाई में बदलने का विकल्प है और वे उस स्थिति में सरचार्ज की कम दरों का लाभ लेने के पात्र हो सकते हैं।
मोदी ने कहा कि दो करोड़ रुपए से अधिक की कमाई करने वाले लोगों पर सरचार्ज लगाने की पीछे विचार यह है कि जिन लोगों में अधिक कर देने की क्षमता है उन्हें राष्ट्र निर्माण के लिए ऐसा करना चाहिए।
सीबीडीटी प्रमुख ने कहा कि आधार दर में बदलाव नहीं किया गया है। सरचार्ज में बदलाव हुआ है। इससे एफपीआई और वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) प्रभावित हुए हैं। लेकिन एक बार फिर उनके पास कॉरपोरेट ढांचा अपनाने का विकल्प है। मुझे नहीं लगता कि उनके साथ कोई अलग बर्ताव हो रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पहले बजट में अत्यधिक अमीर यानी धनाढ्य लोगों पर आयकर सरचार्ज बढ़ा दिया है। इससे करीब 40 प्रतिशत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) स्वत: तरीके से ऊंचे कर के दायरे में आ गए हैं। ये एफपीआई गैर कॉरपोरेट इकाई यानी ट्रस्ट या लोगों के एसोसिएशन के रूप में निवेश कर रहे हैं। आयकर कानून के तहत कराधान के उद्देश्य से यह एक व्यक्तिगत करदाता के रूप में वर्गीकृत है। मोदी ने कहा कि अधिभार बढ़ाने का मकसद उन करदाताओं को लाभ देना है जो आयकर स्लैब के निचले स्तर पर हैं।