नई दिल्ली। विदेशी निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयरों में 2008-17 के दौरान करीब 124 अरब डॉलर का निवेश किया और देश की सबसे बड़ी कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी हासिल की। इसके ठीक उलट भारतीयों ने इसी अवधि में करीब 300 अरब डॉलर मूल्य के सोने की खपत की। कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने एक नोट में कहा है कि अगला दशक संभवत: विजेता के बारे में फैसला करेगा लेकिन हमने गौर किया है कि विदेशी कंपनियों ने भारत की बेहतरीन कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाई है।
यह भी पढ़ें : मोदी के साथ हुई बैठक का असर, भारत में 5 अरब डॉलर का निवेश करेगी अमेजन
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का संयुक्त रूप से भारत के शीर्ष सात बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों में से पांच में 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा जान पड़ता है कि विदेशी निवेशकों (FPI) का भारतीयों के मुकाबले यहां की अर्थव्यवस्था में ज्यादा भरोसा है। बड़े पैमाने पर सोने का आयात भारतीयों में सरकार की नीतियों को लेकर कम भरोसे को प्रतिबिंबित करता है। सोने के आयात में 2012-13 के दौरान सोने के आयात में तीव्र वृद्धि भारतीय नागरिकों की अधिक महंगाई को लेकर चिंता को प्रतिबिंबित करता है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत की मुद्रास्फीति प्रबंधन नीति ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है और इससे मूल्य संचयन के रूप में सोने की भूमिका कम होनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि 2008-17 के दौरान 124 अरब डॉलर का निवेश शेयरों में किया गया। इसमें से FPI ने 2010-14 के दौरान 96 अरब डॉलर का निवेश किया।
यह भी पढ़ें : चीन नहीं भारत के लेह में होगा दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ट्रैक, इसी सप्ताह शुरू होगा फाइनल लोकेशन सर्वे
रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष 200 शेयरों में (BSE-200) FPI के निवेश मूल्य 368 अरब डॉलर पहुंच गया है। इसमें कहा गया है कि भारत में फाइनेंशियल इनक्लूजन कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए नागरिकों के लिए सोना खरीदने की अनिवार्यता कम होनी चाहिए क्योंकि उनके पास अब बैंक खाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इसके अलावा सोने पर उपयुक्त कराधान नीति से इच्छित परिणाम आने की संभावना है।