नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अगस्त के पहले पखवाड़े में भारतीय पूंजी बाजारों में शुद्ध रूप से 28,203 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यानि विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से इस अवधि में जितनी रकम निकाली है उससे 28 हजार करोड़ रुपये ज्यादा निवेश किए हैं। इसके अलावा करीब पांच माह बाद एफपीआई डेट या बांड बाजार में भी शुद्ध निवेशक रहे हैं। बाजार के जानकारों का कहना है कि कंपनियों के उम्मीद से बेहतर तिमाही नतीजों तथा वैश्विक स्तर पर लिक्विडिटी की स्थिति सुधरने की वजह से एफपीआई का निवेश बढ़ा है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार विदेशी निवेशकों ने तीन से 14 अगस्त के दौरान शेयरों में शुद्ध रूप से 26,147 करोड़ रुपये तथा बांड बाजार में 2,056 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस तरह उनका कुल निवेश 28,203 करोड़ रुपये रहा।
बांड बाजार में एफपीआई करीब पांच माह बाद शुद्ध निवेशक रहे हैं। इससे पहले फरवरी में उन्होंने बांड बाजार में 4,734 करोड़ रुपये डाले थे। वहीं जून और जुलाई में एफपीआई शुद्ध लिवाल रहे हैं। मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘वैश्विक और घरेलू कारकों दोनों की वजह से एफपीआई ने शेयर बाजारों में भारी निवेश किया है।’’ उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजारों में अतिरिक्त नकदी उपलब्ध है क्योंकि कोरोना वायरस महामारी की वजह से प्रमुख केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्थाओं को आगे बढ़ाने के लिए आक्रामक तरीके से प्रोत्साहन उपाय कर रहे हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि इससे अलावा घरेलू स्तर पर कंपनियों के तिमाही नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे हैं, जिसकी वजह से भारतीय बाजारों में पूंजी का प्रवाह बढ़ा है। ग्रो के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) हर्ष जैन ने कहा कि अमेरिका में ‘ट्रेजरी’ रिटर्न घटने की वजह से भारतीय बाजारों में उनका निवेश बढ़ा है।