नई दिल्ली। मैन्युफैक्चरिंग में तेजी से ऑटोमेशन और रोबोट का उपयोग बढ़ रहा है। आईफोन मैन्युफैक्चरर्स फॉक्सकॉन ने मानस इतिहास की सबसे बड़ी छंटनी करने का फैसला किया है। फॉक्सकॉन ने 60,000 कर्मचारियों को नौकरी से हटाने की योजना बनाई है। चीन के जिआंगसू क्षेत्र के कुनशान में स्थित फैक्टरी में 110,000 कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन अब इसमें केवल 50,000 लोग ही बचेंगे।
मानव कर्मचारियों के स्थान पर कंपनी रोबोट को नियुक्त करेगी। इन 60,000 निकाले जाने वाले कर्मचारियों द्वारा किया जाने वाला काम अब रोबोट करेंगे। डिपार्टमेंट प्रमुख शू युलिआन ने कहा कि फॉक्सकॉन ने अपने कर्मचारियों की संख्या 110,000 से घटाकर 50,000 करने का फैसला किया है और इनकी जगह रोबोट की नियुक्ति की जाएगी। इससे कंपनी को श्रमिक लागत कम करने में मदद मिलेगी।
सबसे रोचक बात यह है कि कुनशान में स्थित लगभग 600 प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां मानव कर्मचारियों को निकालकर उनकी जगह रोबोट को नियुक्त करने में रुचि दिखा रही हैं। आईफोन की प्रमुख मैन्युफैक्चर्र फॉक्सकॉन समेत 35 बड़ी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने ऑटोमेशन बढ़ाने और उसे सुधारने पर संयुक्तरूप से 4 अरब युआन की राशि खर्च की है।
भारत में भी बढ़ रहा है ऑटोमेशन
एक बार में 60,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालना कोई छोटी खबर नहीं है, और यह चीन में हुआ है। भारतीय कर्मचारियों को इस बारे में जागरुक रहना चाहिए कि तेजी से चीजें बदल रही हैं। इस साल की शुरुआत में खबर आई थी कि भारत की टॉप आईटी कंपनियों ने 2015 में 24 फीसदी कम भर्तियां की हैं और इसका कारण भी ऑटोमेशन ही था। कॉग्नीजेंट ऐसी कंपनी थी जिसने 2015 में सबसे कम 74.6 फीसदी कम कर्मचारियों की भर्ती की। ताईवान कंपनियों की तरह ही भारतीय आईटी कंपनियां जैसे इंफोसिस और अन्य ऑटोमेशन रिसर्च और डेवलपमेंट पर अपना खर्च बढ़ा रही हैं, क्योंकि वह इस बात से बाकिफ हैं कि यही भविष्य है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने भी अनुमान जताया है कि ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और टेक्नोलॉजी 2020 तक 51 लाख रोजगार खत्क कर देंगे।