नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद ने वस्तुओं और सेवाओं की संभावित दरों पर विचार-विमर्श किया। इसमें जीएसटी के लिए चार स्तर की दरें रखने की संभावना भी शामिल है, जो 6, 12, 18 और 26 प्रतिशत रखी जा सकती है। इसमें सबसे निचली दर आवश्यक वस्तुओं के लिए तथा सबसे ऊंची दर लग्जरी सामानों के लिए होगी। इसके अलावा परिषद ने पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली वस्तुओं पर अतिरिक्त उपकर लगाने के प्रस्ताव पर भी विचार-विमर्श किया।
- मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिए केंद्र ने प्रस्ताव किया है कि खाद्य वस्तुओं पर टैक्स छूट को जारी रखा जाए।
- आम इस्तेमाल की 50 प्रतिशत वस्तुओं पर या तो टैक्स न लगाया जाए या फिर टैक्स की निचली दर लगाई जाए।
- इसके साथ ही 70 प्रतिशत तक वस्तुओं को 18 प्रतिशत तक की निचले टैक्स स्लैब में रखने का प्रस्ताव है।
- बेहद लक्जरी की श्रेणी में आने वाले उत्पादों तथा अहितकर वस्तुओं मसलन तंबाकू, सिगरेट, एरेटेड ड्रिंक्स, लक्जरी कारों तथा प्रदूषण फैलाने वाले उत्पादों पर 26 प्रतिशत की जीएसटी दर के साथ अतिरिक्त उपकर लगाने का भी प्रस्ताव है।
- सोने पर चार प्रतिशत का कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है।
- एफएमसीजी तथा टिकाऊ उपभोक्ता सामनों पर जीएसटी व्यवस्था में 26 प्रतिशत का कर लगाने का प्रस्ताव है।
- अभी इन उत्पादों पर 31 प्रतिशत की दर लगती है।
- जीएसटी लागू होने पर राजस्व के संभावित नुकसान पर राज्यों को मुआवजा भुगतान की व्यवस्था पर सहमति बनी।
- मुआवजे के लिए राज्यों को राजस्व की तुलना का आधार वर्ष 2015-16 होगा।
- पहले पांच साल में राज्यों में राजस्व में 14 प्रतिशत वार्षिक की दीर्घावधिक वृद्धि दर को सामान्य माना जाएगा और उसकी तुलना में यदि राजस्व कम रहा तो केंद्र द्वारा संबंधित राज्य को उसकी भरपाई की जाएगी।
- लग्जरी तथा अहितकर वस्तुओं पर उपकर से 50,000 करोड़ रुपए का कोष बनाया जाएगा, जिससे राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई की जाएगी।
- राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि सेवाओं पर टैक्स की दर सिर्फ 6, 12 और 18 प्रतिशत की होगी। इसमें ऊंची दर 18 प्रतिशत की होगी।
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