नई दिल्ली। देश का विदेशी मुद्रा भंडार एक बाऱ फिर एक नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। 20 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में भंडार में 2.518 अरब डॉलर की बढोतरी हुई है और ये 575.29 अरब डालर के नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी है। इससे पिछले 13 नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 4.277 अरब डॉलर की भारी वृद्धि के साथ 572.771 अरब डॉलर हो गया था। सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने की बड़ी वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) का बढ़ना है। ये परिसंपत्तियां कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती है।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार सप्ताह को दौरान विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां 2.835 अरब डॉलर बढ़कर 533.103 अरब डॉलर हो गयीं। एफसीए को डॉलर में दर्शाया जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्राएं भी शामिल होती है। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान देश का स्वर्ण भंडार का मूल्य 33.9 करोड़ डॉलर घटकर 36.015 अरब डॉलर रहा। देश को अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष (आईएमएफ) में मिला विशेष आहरण अधिकार 40 लाख डॉलर की मामूली वृद्धि के साथ 1.492 अरब डॉलर और आईएमएफ के पास जमा मुद्रा भंडार 1.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.680 अरब डॉलर रहा है।
आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 126 अरब डॉलर से ज्यादा बढ़ गया है। वहीं इस वित्त वर्ष में अब तक रिजर्व में करीब 97 अरब डॉलर की बढ़त रही। फॉरेन करंसी एसेट भी पिछले एक साल के दौरान 116 अरब डॉलर और वित्त वर्ष में अबतक 90.8 अरब डॉलर बढ़ गया है। किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है। फिलहाल भारत का विदेशी मुद्रा भंडार डेढ़ साल से ज्यादा वक्त के आयात के लिए पर्याप्त है। साल 2004 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने 100 अरब डॉलर की सीमा पार की थी, वहीं जून 2020 के पहले हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया। जून के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार लगातार 500 अरब डॉलर के स्तर से ऊपर ही बना हुआ है।