नई दिल्ली। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 550 अरब डॉलर के स्तर को पार कर अब तक से सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। रिजर्व बैंक के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 9 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में 5.867 अरब डॉलर की बढ़त के साथ 551.5 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। इससे पिछले हफ्ते मुद्रा भंडार 3.6 अरब डॉलर बढ़ा था। भारतीय करंसी में ये रकम 40.34 लाख करोड़ रुपये के बराबर है।
क्यों आई विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त
हफ्ते के दौरान भंडार में बढ़त विदेशी मुद्रा संपत्ति यानि फॉरेन करंसी एसेट में आई तेजी की वजह से देखने को मिली है। 9 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में फॉरेन करंसी एसेट 5.737 अरब डॉलर की बढ़त के साथ 508.783 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गई। भारतीय मुद्रा में ये रकम 37.2 लाख करोड़ रुपये के बराबर है। हफ्ते के दौरान गोल्ड रिजर्व की कीमत 11.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 36.598 करोड़ डॉलर पर पहुंच गई। आईएमएफ में देश के एसडीआर का हिस्सा 40 लाख डॉलर बढ़कर 1.480 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वहीं आईएमएफ में देश की रिजर्व पोजीशन 1.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.644 अरब डॉलर पर पहुंच गई।
एक साल में कितना बढ़ा भंडार
आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 111 अरब डॉलर से ज्यादा बढ़ गया है। वहीं इस वित्त वर्ष में अब तक रिजर्व में 73.698 अरब डॉलर की बढ़त रही। फॉरेन करंसी एसेट भी पिछले एक साल के दौरान 100.9 अरब डॉलर और वित्त वर्ष में अबतक 66.57 अरब डॉलर बढ़ गया है।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त का फायदा
किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है। साल 1991 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 1.1 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया था, उस वक्त ये रकम 2 से 3 हफ्ते के आयात बिल के लिए भी पर्याप्त नहीं थी। फिलहाल भारत का विदेशी मुद्रा भंडार करीब डेढ़ साल के आयात के लिए पर्याप्त है। साल 2004 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने 100 अरब डॉलर की सीमा पार की थी, वहीं जून 2020 के पहले हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया। जून के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार लगातार 500 अरब डॉलर के स्तर से ऊपर ही बना हुआ है।