नई दिल्ली। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों में ढील से विशाल घरेलू विमानन क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, लेकिन विदेशी एयरलाइंस को कभी भी घरेलू विमानन कंपनी का पूर्ण स्वामित्व लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। नागर विमानन सचिव आर एन चौबे ने उदार एफडीआई नियमों तथा दीर्घावधि में उनके प्रभाव के बारे में कहा, अब विमानन क्षेत्र में अधिक से अधिक प्रतिस्पर्धा होगी। यही संकेत जा रहा है।
सरकार ने कल नागर विमानन क्षेत्र में एक बड़े सुधार उपाय की घोषणा करते हुए विदेशी कंपनियों को घरेलू विमानन कंपनियों में शतप्रतिशत हिस्सेदारी रखने की अनुमति दे दी। हालांकि, विदेशी एयरलाइंस को इसकी अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा मौजूदा हवाई अड्डों में स्वत: मंजूर मार्ग से 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है। चौबे ने कहा, 22 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मेरे हिसाब से यह विशाल बाजार है, जहां कोई भी आकर निवेश कर सकता है। पिछले 21 माह से भारत का हवाई यातायात दो अंकीय वृद्धि दर्ज कर रहा है। इसकी वजह ईंधन के दामों में कमी, कारोबार सुगमता तथा घरेलू विमानन कंपनियों द्वारा क्षमता बढ़ाना है। हालांकि, भारतीय विमानन कंपनियों में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है, लेकिन विदेशी एयरलाइंस के लिए यह सीमा 49 फीसदी ही रखी गई है।
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नागर विमानन सचिव चौबे ने कहा, विदेशी एयरलाइंस को कभी भी 49 फीसदी से अधिक के निवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। कोई विदेशी एयरलाइंस कभी भारतीय विमानन कंपनी का स्वामित्व नहीं हासिल कर पाएगी। फिलहाल तीन एयरलाइंस ऐसी हैं, जिनमें विदेशी विमानन कंपनियों की उल्लेखनीय हिस्सेदारी है। विस्तारा में सिंगापुर एयरलाइंस की 49 फीसदी, एयरएशिया इंडिया में मलेशिया की एयरएशिया बेरहाद की 49 फीसदी तथा जेट एयरवेज में एतिहाद एयरवेज की 24 फीसदी हिस्सेदारी है।
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